शनिदेवाची आरती - "जय जय श्री शनीदेवा | पद्मकर शिरी ठेवा"

Started by Atul Kaviraje, July 31, 2021, 04:58:56 PM

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Atul Kaviraje

                            II श्री शनी देव नमः II
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज शनिवार. श्री शनी देवाचा वार. आज मी तुम्हाला शनी देवाची आरती सांगत आहे. आरतीचे बोल आहेत-"जय जय श्री शनीदेवा | पद्मकर शिरी ठेवा"


                            शनिदेवाची आरती
              "जय जय श्री शनीदेवा | पद्मकर शिरी ठेवा"
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जय जय श्री शनीदेवा | पद्मकर शिरी ठेवा
आरती ओवाळतो | मनोभावे करुनी सेवा,

सुर्यसुता शनिमूर्ती | तुझी अगाध कीर्ति
एकमुखे काय वर्णू | शेषा न चले स्फुर्ती,

जय जय श्री शनीदेवा | पद्मकर शिरी ठेवा
आरती ओवाळतो | मनोभावे करुनी सेवा,

सुर्यसुता शनिमूर्ती | तुझी अगाध कीर्ति
एकमुखे काय वर्णू | शेषा न चले स्फुर्ती,
नवग्रहांमाजी श्रेष्ठ | पराक्रम थोर तुझा,
ज्यावरी कृपा करिसी | होय रंकाचा राजा,
विक्रमासारिखा हो | शककरता पुण्यराशी,
गर्व धरिता शिक्षा केली | बहु छळीयेले त्यासी,
शंकराच्या वरदाने | गर्व रावणाने केला,
साडेसाती येता त्यासी | समूळ नाशासी नेला,
प्रत्यक्ष गुरुनाथ | चमत्कार दावियेला,
नेऊनि शुळापाशी | पुन्हा सन्मान केला,
ऐसे गुण किती गाऊ | धणी न पुरे गातां
कृपा करि दिनांवरी | महाराजा समर्था,
दोन्ही कर जोडनियां | रुक्मालीन सदा पायी
प्रसाद हाची मागे | उदय काळ सौख्यदावी,

जय जय श्री शनीदेवा | पद्मकर शिरी ठेवा
आरती ओवाळीतो | मनोभावे करुनी सेवा,


        (साभार आणि सौजन्य-ल्यारिकस पंडितस.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री अतुल एस परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-31.07.2021-शनिवार.