सावन कविता - "पानी आया… पानी आया"

Started by Atul Kaviraje, August 14, 2021, 01:55:17 AM

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Atul Kaviraje

मित्रो,

     हिंदी कविता के एक अनामिक कवी की कविता आपको सुनाता हू.  यह कविता सावन
(वर्षा ऋतू ) पर आधारित है. हिंदी कविता का मेरा यह (पुष्प-5) आपको सप्रणाम सादर करता हू. इस कविता के बोल है - "पानी आया... पानी आया"


                              हिंदी कविता-(पुष्प-5)
                                   सावन कविता
                            "पानी आया... पानी आया"
                                  कवी -अनामिक
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पानी आया... पानी आया-----
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पानी आया... पानी आया...
गरज रहे बादल घनघोर.

ठमक-ठमक कर नाचे मोर,
पी-पी रटने लगा पपीहा.

झन-झन-झन झींगुर का शोर
दूर कहीं मेंढक टर्राया,
पानी आया... पानी आया...

रिमझिम-रिमझिम बूंदें आईं,
खुशियों की सौगातें लाईं.

पेड़ों के पत्तों ने भरभर,
झूम-झूमकर तालियां बजाईं.

गर्मी का हो गया सफाया,
पानी आया... पानी आया...

भीग रहे कुछ छाता ताने,
रानू-मोनू लगे नहाने.

छप-छप-छप-छप करते फिरते
सपने जैसे हुए सयाने,
बच्चों का मन है हर्षाया.


                कवी-अनामिक
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               (साभार एवं सौजन्य-हिंदीपोएम.ऑर्ग)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.08.2021-शनिवार.