सावन कविता - "अम्मा के आँगन में "

Started by Atul Kaviraje, August 16, 2021, 12:35:25 AM

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Atul Kaviraje

मित्रो,

     हिंदी कविता के  कवी / कवयित्री  रजनी भार्गव, की कविता आपको सुनाता  हू. यह कविता सावन (वर्षा ऋतू ) पर आधारित है. हिंदी कविता का मेरा यह (पुष्प-7) आपको सप्रणाम  सादर करता हू. इस कविता के बोल है - "अम्मा के आँगन में "


                              हिंदी कविता-(पुष्प-7)
                                  सावन कविता
                             "अम्मा के आँगन में "
                         कवी / कवयित्री -रजनी भार्गव
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अम्मा के आँगन में-----
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अम्मा के आँगन में
टिप-टिप गिरती बूँदें
गाती रही मेघ मल्हार,
मैं बैठी गिनती रही.

गिरते जामुन बार-बार
बादलों से लेकर आई
भर कर झोली में
फूटती किरणें और बौछारें
आमों की बगिया को
फिर सींचा बौछारों से
किरणों का बिछौना बुन
सजाया भीगे पत्तों से,
मोती बनने की आस में.

पी थी मैंने सारी
सावन की बूँदें
सीप समझ मुझमें शायद
स्वाति नक्षत्र की बूँद,
समा जाए.

सावन के इस दुलार में
बचपन के अनभिज्ञ संसार में
भीगा मेरा तन-मन
अनुभूति की बौछार में
आज भी मेरे आँगन में
ये सीले पल दबे पाँव
पाँव तलक आ जाते हैं
पानी में पडते ही,
छींटें उड़ा जाते हैं.

कब छूटा है माँ का अँगना
कब छूटी है बौछारें
हर मोड़ पर मिल जाती है
सावन की गीली बूँदों की तरह
मेरी आँखों में
एक तस्वीर की तरह
और हवा में बहकी,
तितली की तरह.


                   कवी / कवयित्री -रजनी  भार्गव
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                (साभार एवं सौजन्य-हिंदीपोएम.ऑर्ग)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-16.08.2021-सोमवार.