II पारसी नवं-वर्ष की हार्दिक शुभ-कामनाये II-"लघु कविताये एवं बधाईया संदेश"

Started by Atul Kaviraje, August 16, 2021, 11:18:41 AM

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Atul Kaviraje

                    II पारसी नवं-वर्ष की हार्दिक शुभ-कामनाये II
                             लघु कविताये एवं बधाईया संदेश
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मित्रो,

     आज पारसी नवं वर्ष कि वर्ष-गांठ है.  मेरे सभी पारसी भाई और बहनो को मेरी बहोत सारी शुभ-कामनाये. सुनाता हू, इस पारशी नवं वर्ष के बधाईया संदेश .   

                         बधाईया संदेश:-----
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(1)  खुशियां हो ओवरफ्लो मस्ती
कभी न हो लो धन और शोहरत की हो बौछार,
ऐसा आये आपके लिए नवरोज़ का त्यौहार.
     पारसी नवरोज़ की हार्दिक शुभकामनाएं.

(2)  पारसी नवरोज़ मंगलमय हो
नव-वर्ष की पावन बेला में
है यही शुभ संदेश हर दिन आये
आपके जीवन में लेकर खुशियाँ विशेष,
     इसी शुभकामनाओं के साथ पारसी न्यू ईयर,
     की हार्दिक शुभकामनाएं.

(3)  चारों तरफ हो खुशियाँ ही खुशियाँ
मीठी पुरनपोली और गुजियाँ ही गुजियाँ द्वारे सजती सुंदर रंगोली की सौगात
आसमान में हर तरफ खुशियों की बारात सभी को शुभ नवरोज़ हर बार
कोयल गाये हर डाल-डाल, पात-पात
चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा का हैं अवस
खुशियों से बीते नव वर्ष का हर एक पल,
सभी को शुभ नवरोज़ हर बार,
     पारसी नवरोज़ की हार्दिक शुभकामनायें.

(4)  ऋतू से बदलता पारसी साल
नये वर्ष की छाती मौसम में बहार बदलाव दिखता पृकृति में
हर तरफ ऐसे होता नवरोज़ का त्यौहार
नवरोज़ की हैं शुरुवात
कोयल गाये हर डाल- डाल पात-पात,
     खुशियों से बीते नव वर्ष का हर एक पल.

(5)  शाखों पर सजता नये पत्तो का श्रृंगार
मीठे पकवानों की होती चारो तरफ बहार
मीठी बोली से करते, सब एक दूजे का दीदार
चलो मनाये नवरोज़ इस बार
नए पत्ते आते है वृक्ष ख़ुशी से झूम जाते हैं
ऐसे मौसम में ही तो नया आगाज होता हैं
हम यूँही नवरोज़ नहीं मनाते पारसी धर्म में,
    यह त्यौहार प्राकृतिक बदलाव से आते.

(6)  नवरोज़ के आगमन से सजता हैं नव वर्ष
नवरोज़ के त्यौहार से खिलता हैं नव वर्ष
कोयल गाती हैं नववर्ष का मल्हार
संगीतमय सजता प्रकृति का आकार
दिन की शुरुवात से होता नव आरंभ
यही हैं नवरोज़का शुभारम्भ
वृक्षों पर सजती नये पत्तो की बहार
हरियाली से महकता प्रकृति का व्यवहार
ऐसा सजता हैं नवरोज़ का त्यौहार
मौसम ही कर देता नववर्ष का सत्कार
पिछली यादें गठरी में बांधकर
करें नववर्ष का इंतजार
लाये खुशियों की बारात,
     ऐसी हो नवरोज़ की परम्परागत शुरूआत.


              (साभार एवं सौजन्य-ऑनलाइनहिन्दीमास्तर .कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-16.08.2021-सोमवार.