सावन कविता - "सावन में तन मन जलाए"

Started by Atul Kaviraje, August 19, 2021, 12:17:27 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

मित्रो,

     हिंदी कविता की  कवयित्री - प्रिया सैनी, की कविता आपको सुनाता  हू. यह कविता सावन (वर्षा ऋतू ) पर आधारित है. हिंदी कविता का मेरा यह (पुष्प-10) आपको सप्रणाम  सादर करता हू. इस कविता के बोल है - "सावन में तन मन जलाए"


                           हिंदी कविता-(पुष्प-10)
                                सावन कविता
                          "सावन में तन मन जलाए"
                             कवयित्री - प्रिया सैनी
                       ----------------------------


सावन में तन मन जलाए-----
-----------------------

सावन में तन मन जलाए,
हाय रे बेदर्दी साजन !
तेरे बिन जिया न जाए,
हाय रे बेदर्दी साजन !

धरती प्यासी आँगन प्यासा
रीत गई हर अभिलाषा
दर्द बढ़ा कर क्या सुख पाए,
हाय रे बेदर्दी साजन !

बदरा बरसे कण-कण हरसे
हरी-हरी हरियाली सरसे
तू क्यों मेरी जलन बढ़ाए,
हाय रे बेदर्दी साजन !

सुन ले मेरी कातर मनुहारें
कभी तो आ भूले-भटकारे
अब तो हाय अंग लगा ले,
हाय रे बेदर्दी साजन!

प्रीत की रीत वही पुरानी
तू क्या जाने ओ अभिमानी
राधा को क्या कपट दिखाए,
हाय रे बेदर्दी साजन !


                       कवयित्री - प्रिया सैनी
                   -----------------------

                 (साभार एवं सौजन्य-हिंदीपोएम.ऑर्ग)
              -----------------------------------


-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.08.2021-गुरुवार.