सावन कविता - "नाव तेज रफ्तार चली"

Started by Atul Kaviraje, August 21, 2021, 01:20:13 AM

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Atul Kaviraje

मित्रो,

     हिंदी कविता के कवी श्री -डॉ. गोपाल राजगोपाल की कविता आपको सुनाता  हू. यह कविता सावन (वर्षा ऋतू ) पर आधारित है. हिंदी कविता का मेरा यह (पुष्प-11) आपको सप्रणाम  सादर करता हू. इस कविता के बोल है - "नाव तेज रफ्तार चली"


                                  हिंदी कविता-(पुष्प-11)
                                         सावन कविता
                                 "नाव तेज रफ्तार चली"
                              कवी -डॉ. गोपाल राजगोपाल
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नाव तेज रफ्तार चली-----
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नाव तेज रफ्तार चली
लहरों पर होकर सवार चली
इस पार से बही उस पार चली,
ये नाव तेज रफ्तार चली |

दिनु- मीनू बैठे इसमें
किट्टू-बिट्टू बैठे इसमें,
सोनू-मोनू को उतार चली I

दोनों हाथों में है चप्पू
नाव चला रहा है पप्पू
छप-छप की छपकार चली,
ये नाव तेज रफ्तार चली I

बीच धार में पहुंच चुकी है
काली बदली कोई झुकी है
बारिश मूसलाधार चली है,
ये नाव तेज रफ्तार चली I

बूंदा-बांदी रोके चाहे
तूफा-आंधी रोके चाहे
चलना जीवन आधार चली,
ये नाव तेज रफ्तार चली I


                 कवी -डॉ. गोपाल राजगोपाल
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                 (साभार एवं सौजन्य-हिंदीपोएम.ऑर्ग)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-21.08.2021-शनिवार.