सावन कविता - "उमड़-घुमड़ भर आए बदरा आसमान में छाए"

Started by Atul Kaviraje, August 23, 2021, 01:24:22 AM

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Atul Kaviraje

मित्रो,

     हिंदी कविता के  कवी श्री - नरेंद्र वर्मा, की कविता आपको सुनाता  हू. यह कविता सावन (वर्षा ऋतू ) पर आधारित है. हिंदी कविता का मेरा यह (पुष्प-13) आपको सप्रणाम सादर करता हू. इस कविता के बोल है - "उमड़-घुमड़ भर आए बदरा आसमान में छाए"

                            हिंदी कविता-(पुष्प-13)
                                 सावन कविता
                "उमड़-घुमड़ भर आए बदरा आसमान में छाए"
                                कवी -नरेंद्र वर्मा
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उमड़-घुमड़ भर आए बदरा आसमान में छाए-----
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उमड़-घुमड़ भर आए बदरा आसमान में छाए ।
छप-छप टप-टप बरसते मेघा ।।

घनन घनन घन गरजते बादल ।
बिजली चमकती जाए ।।

घनघोर अंधेरा सब और छाया ।
मेघा ऐसे जमकर बरसे ।।

सूखी नदियां कल-कल करती बहने लगी ।
सुख की बगिया फूलों की सुगंध से महक उठी ।।

चारों और हरियाली ही हरियाली छाई ।
किसानों के चेहरे चमक उठे ।।

उमड़-घुमड़ भर आए बदरा आसमान में छाए ।
सर सर टप टप बरसते मेघा ।।

धरती मां भी झूम उठी ।
सब और ठंडी हवा चलने लगी ।।

उमड़-घुमड़ भर आए बदरा आसमान में छाए ।।


                 कवी -नरेंद्र वर्मा
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                 (साभार एवं सौजन्य-हिंदीपोएम.ऑर्ग)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-23.08.2021-सोमवार.