सावन कविता - " रिमझिम रिमझिम सी बूंदे जग के आंगन में आयी"

Started by Atul Kaviraje, August 24, 2021, 12:26:26 AM

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Atul Kaviraje

मित्रो,

     हिंदी कविता के कवी श्री - अज्ञात, की कविता आपको सुनाता  हू. यह कविता सावन (वर्षा ऋतू ) पर आधारित है. हिंदी कविता का मेरा यह (पुष्प-14) आपको सप्रणाम सादर करता हू. इस कविता के बोल है - " रिमझिम रिमझिम सी बूंदे जग के आंगन में आयी"


                             हिंदी कविता-(पुष्प-14)
                                   सावन कविता
                " रिमझिम रिमझिम सी बूंदे जग के आंगन में आयी"
                                    कवी -अज्ञात
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रिमझिम रिमझिम सी बूंदे जग के आंगन में आयी-----
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रिमझिम रिमझिम सी बूंदे जग के आंगन में आयी ।
अपने लघु उज्जवल तन में कितनी सुंदरता लायी ।।

मेघों ने गरज-गरज कर मादक संगीत सुनाया ।
इस हरी-भरी संध्या ने हमको उन्मत्त बनाया ।।

सूखी सरिताओं ने फिर सुंदर नवजीवन पाया ।
लघु लहर लहर पर देखो सौंदर्य नाचने आया ।।

वन उपवन पनप गए सब कितने नव अंकुर आए ।
वे पीले पीले पल्लव फिर से हरियाली लाएं ।।

वन में मयूर अब नाचे हंस हंस आनंद मनाएं ।
उनकी छवि देख रही है नव सी घनघोर घटाएं ।।

प्रतिपल हम नाचे खेलें जगजीवन मधुर बनाए ।
अपने छोटे से घर में सुख का संसार बसाएं ।।


                         कवी -अज्ञात
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                 (साभार एवं सौजन्य-हिंदीपोएम.ऑर्ग)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-24.08.2021-मंगळवार.