सावन कविता - " छम-छम बूँदे बरखा की"

Started by Atul Kaviraje, August 27, 2021, 01:24:27 AM

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Atul Kaviraje

मित्रो,

     हिंदी कविता की कवयित्री -श्रीमती  स्मिता प्रसाद दारशेतकर, की कविता आपको सुनाता  हू. यह कविता सावन (वर्षा ऋतू ) पर आधारित है. हिंदी कविता का मेरा यह (पुष्प-17) आपको सप्रणाम सादर करता हू. इस कविता के बोल है - " छम-छम बूँदे बरखा की"

                             हिंदी कविता-(पुष्प-17)
                                   सावन कविता
                           "छम-छम बूँदे बरखा की"
                       कवयित्री -स्मिता प्रसाद दारशेतकर
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छम-छम बूँदे बरखा की
लेकर आई है संगीत नया.

हरियाली और प्रेम का
बना हो जैसे गीत नया.

मनभावन-सा लगे हैं सावन
हर चितवन हो गई है पावन.

मेघों ने मानों झूमकर
धरती की प्यास बुझाई है.

खेलकर खेतों में
फैलकर रेतों में.

मतवाली बरखा आई है
संग अपने.

त्यौहारों की भी
खुशहाली वो लाई है.


                 कवयित्री  -स्मिता प्रसाद दारशेतकर
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                 (साभार एवं सौजन्य-हिंदीपोएम.ऑर्ग)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-27.08.2021-शुक्रवार.