सावन कविता - " कैसे करूँ मैं स्वागत तेरा बता ओ बरखा रानी "

Started by Atul Kaviraje, August 28, 2021, 01:47:44 AM

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Atul Kaviraje

मित्रो,

     हिंदी कविता के  कवी श्री -हेमंत रिछारिया, की कविता आपको सुनाता  हू. यह कविता सावन (वर्षा ऋतू ) पर आधारित है. हिंदी कविता का मेरा यह (पुष्प-18) आपको सप्रणाम सादर करता हू. इस कविता के बोल है - " कैसे करूँ मैं स्वागत तेरा बता ओ बरखा रानी "


                               हिंदी कविता-(पुष्प-18)
                                     सावन कविता
                    " कैसे करूँ मैं स्वागत तेरा बता ओ बरखा रानी "
                                 कवी -हेमंत रिछारिया
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कैसे करूँ मैं स्वागत तेरा बता ओ बरखा रानी-----
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कैसे करूँ मैं स्वागत तेरा बता ओ बरखा रानी
घर की छत गलती है जब-जब बरसे पानी I

बारिश में लगता है मौसम बड़ा सुहाना
बूँद-बूँद ताल बजाए पंछी गाएँ गाना
मैं सोचूँ, कैसे चूल्हे की आग जलानी I

ठंडी-ठंडी बौछारें हैं पवन चले घनघोर
बादल गरजे उमड़-घुमड़ नाचे वन में मोर
मन मेरा सोचे, कैसे गिरती दीवार बचानी I

इंद्रधनुष की छटा बिखेरी बरसा पानी जम के
पाँवों में नूपुरों को बाँधे बरखा नाची छम से
मैं खोजूँ वो सूखा कोना जहाँ खाट बिछानी I

प्रकृति कर रही स्वागत तेरा कर अपना शृंगार
पपीहे ने किया अभिनंदन गा कर मेघ मल्हार
मैं भी करता स्वागत तेरा भर अँखियों में पानी
आ जा ओ बरखा रानी !
आ जा ओ बरखा रानी !


                    कवी -हेमंत रिछारिया
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                 (साभार एवं सौजन्य-हिंदीपोएम.ऑर्ग)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-28.08.2021-शनिवार.