सावन कविता - "सावन में तन मन जलाए"

Started by Atul Kaviraje, August 29, 2021, 01:13:49 AM

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Atul Kaviraje

मित्रो,

     हिंदी कविता की  कवयित्री  - प्रिया सैनी, की कविता आपको सुनाता  हू. यह कविता सावन (वर्षा ऋतू ) पर आधारित है. हिंदी कविता का मेरा यह (पुष्प-19) आपको सप्रणाम  सादर करता हू. इस कविता के बोल है -  "सावन में तन मन जलाए"


                              हिंदी कविता-(पुष्प-19)
                                   सावन कविता
                            "सावन में तन मन जलाए"
                              कवयित्री  - प्रिया सैनी
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सावन में तन मन जलाए-----
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सावन में तन मन जलाए
हाय रे बेदर्दी साजन !
तेरे बिन जिया न जाए
हाय रे बेदर्दी साजन !

धरती प्यासी आँगन प्यासा
रीत गई हर अभिलाषा !
दर्द बढ़ा कर क्या सुख पाए
हाय रे बेदर्दी साजन !

बदरा बरसे कण-कण हरसे
हरी-हरी हरियाली सरसे !
तू क्यों मेरी जलन बढ़ाए
हाय रे बेदर्दी साजन !

सुन ले मेरी कातर मनुहारें
कभी तो आ भूले-भटकारे !
अब तो हाय अंग लगा ले
हाय रे बेदर्दी साजन !

प्रीत की रीत वही पुरानी
तू क्या जाने ओ अभिमानी !
राधा को क्या कपट दिखाए
हाय रे बेदर्दी साजन !


                  कवयित्री  - प्रिया सैनी
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                 (साभार एवं सौजन्य-हिंदीपोएम.ऑर्ग)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-29.08.2021-रविवार.