सावन कविता - "सावन आयो रे, आयो रे"

Started by Atul Kaviraje, August 31, 2021, 01:44:30 AM

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Atul Kaviraje

मित्रो,

     हिंदी कविता के  कवी श्री -सुनील जोगी, की कविता आपको सुनाता  हू. यह कविता सावन (वर्षा ऋतू ) पर आधारित है. हिंदी कविता का मेरा यह (पुष्प-21) आपको सप्रणाम सादर करता हू. इस कविता के बोल है - "सावन आयो रे, आयो रे"


                            हिंदी कविता-(पुष्प-21)
                                  सावन कविता
                            "सावन आयो रे,आयो रे"
                               कवी -सुनील जोगी
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सावन आयो रे, आयो रे-----
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सावन आयो रे, आयो रे,
सावन आयो रे।
उमड़-घुमड़ कर कारी बदरिया,
जल बरसायो रे।

मेंहदी वाला रंग रचाकर
सखियां झूला झूलें
पांव की पायल कहती है
कि उड़ते बादल छू लें
पीउ-पीउ कर के पपिहा ने
शोर मचायो रे,
सावन आयो रे।

सर-सर-सर-सर उड़े चुनरिया
हवा चले सन-सन-सन
रिमझिम-रिमझिम बरसे पानी
भीगे गोरिया का तन
सब सखियन ने मिलकर
राग मल्हार सुनायो रे,
सावन आयो रे।

बहका-बहका मौसम है
ऋत पिया मिलन की आई
सब सखियाँ मिल तीज मनावें
हरियाली है छाई
जिसके पिया परदेस बसे
चिठिया भिजवायो रे,
सावन आयो रे।

                  कवी -सुनील जोगी
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                 (साभार एवं सौजन्य-हिंदीपोएम.ऑर्ग)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-31.08.2021-मंगळवार.