II बैल पोला त्यौहार II - लेख क्रमांक-१

Started by Atul Kaviraje, September 06, 2021, 02:39:27 AM

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Atul Kaviraje

                              II बैल पोला त्यौहार II
                                   लेख क्रमांक-१
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मित्रो,

     आज का यह दिन याने, सोमवार, दिनांक-०६.०९.२०२१,दो  विशेष पर्व लेकर आया है. आज पिठोरी अमावस और बैल पोळा है. आईए जानते है  इन  दो महत्त्वपूर्ण पर्वो कि विशेषताये, महत्त्व , पूजा विधी, कथा, व्रत , एवं अन्य  महत्त्वपूर्ण जानकारी.

                                 II बैल पोला त्यौहार II
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                बैल पोला त्यौहार का महत्व व जानकारी:----- 

     भारत देश कृषिप्रधान देश है, यहाँ कृषि को अच्छा बनाने में मवेशियों का भी विशेष योगदान होता है. भारत देश में इन मवेशियों की पूजा की जाती है. पोला का त्यौहार उन्ही में से एक है, जिस दिन कृषक गाय, बैलों की पूजा करते है. यह पोला का त्यौहार विशेष रूप से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र में मनाया जाता है.

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बैल पोला 2021
2021 में पोला त्यौहार कब है  ?
पोला त्यौहार का नाम पोला क्यों पड़ा –
पोला त्यौहार का महत्व
महाराष्ट्र में पोला पर्व मनाने का तरीका
मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में पोला त्यौहार मनाने का तरीका
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     पोला के दिन किसान और अन्य लोग पशुओं की विशेष रूप से बैल की पूजा करते है, उन्हें अच्छे से सजाते है. पोला को बैल पोला भी कहा जाता है.

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     पोला का त्यौहार भादों माह की अमावस्या को जिसे पिठोरी अमावस्या भी कहते है, उस दिन मनाया जाता है. यह अगस्त – सितम्बर महीने में आता है. इस वर्ष 6 सितंबर को यह मनाया जायेगा. महाराष्ट्र में इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते है, विशेष तौर पर विदर्भ क्षेत्र में इसकी बड़ी धूम रहती है. वहां यह त्यौहार दो दिनों तक मनाया जाता है. वहां बैल पोला को मोठा पोला कहते हैं एवं इसके दुसरे दिन को तनहा पोला कहा जाता है.

                      पोला त्यौहार का नाम पोला क्यों पड़ा: –

     विष्णु भगवान जब कान्हा के रूप में धरती में आये थे, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी के रूप मे मनाया जाता है. तब जन्म से ही उनके कंस मामा उनकी जान के दुश्मन बने हुए थे. कान्हा जब छोटे थे और वासुदेव-यशोदा के यहाँ रहते थे, तब कंस ने कई बार कई असुरों को उन्हें मारने भेजा था. एक बार कंस ने पोलासुर नामक असुर को भेजा था, इसे भी कृष्ण ने अपनी लीला के चलते मार दिया था, और सबको अचंभित कर दिया था. वह दिन भादों माह की अमावस्या का दिन था, इस दिन से इसे पोला कहा जाने लगा. यह दिन बच्चों का दिन कहा जाता है, इस दिन बच्चों को विशेष प्यार, लाढ देते है.

                          पोला त्यौहार का महत्व:-----

    भारत, जहां कृषि आय का मुख्य स्रोत है और ज्यादातर किसानों की खेती के लिए बैलों का प्रयोग किया जाता है. इसलिए किसान पशुओं की पूजा आराधना एवं उनको धन्यवाद देने के लिए इस त्योहार को मनाते है.

                              पोला त्यौहार:-----

     पोला दो तरह से मनाया जाता है, बड़ा पोला एवं छोटा पोला. बड़ा पोला में बैल को सजाकर उसकी पूजा की जाती है, जबकि छोटा पोला में बच्चे खिलौने के बैल या घोड़े को मोहल्ले पड़ोस में घर-घर ले जाते है और फिर कुछ पैसे या गिफ्ट उन्हें दिए जाते है.

                            (साभार एवं सौजन्य-दीपावली .को .इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.09.2021-सोमवार.