II पिठोरी व पोलाला अमावस्या II- लेख क्रमांक-2

Started by Atul Kaviraje, September 06, 2021, 11:29:05 AM

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Atul Kaviraje

                           II पिठोरी व पोलाला अमावस्या II
                                     लेख क्रमांक-2
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मित्रो,

     आज का यह दिन याने, सोमवार, दिनांक-०६.०९.२०२१,दो  विशेष पर्व लेकर आया है. आज पिठोरी  अमावस और बैल पोळा है. आईए जानते है  इन  दो महत्त्वपूर्ण पर्वो कि विशेषताये, महत्त्व , पूजा विधी, कथा, व्रत , एवं अन्य  महत्त्वपूर्ण जानकारी.

                                          पिठोरी अमावस्या:-----

     पिठोरी अमावस्या के दिन सप्तमातृका की भी पूजा की जाती है. सप्तमातृका 7 दिव्य माताओं से मिल कर बनी है, जो शिव और शक्ति के द्वारा उत्पन्न हुई थी. सात देविओं के नाम है –

1.   ब्राह्मणी
2.   वैष्णवी
3.   महेश्वरी
4.   कुमारी
5.   वाराही
6.   इन्द्राणी
7.   चामुंडी

     इन प्रत्येक देवियों के साथ कोई न कोई किंवदंति जुड़ी हुई है, जिसका उल्लेख कुरमा पुराण, वराह पुराण और महाभारत में भी किया गया है. महाभारत के बारे में हिंदी में यहाँ पढ़ें. भगवान् शिव के द्वारा एक महान शक्ति 'योगेश्वरी' को उत्पन्न किया गया था, जिसे सात देविओं के बाद आठवां स्थान मिला.  पिठोरी अमावस्या के दिन 64 योगनी एवं सप्तमातृका की पूजा की जाती है.

     पिठोरा अमावस्या के दिन व्रत रखने से बच्चे स्वस्थ, बुद्धिमान एवं बहादुर होते है. औरतें एक जगह इकट्ठी होकर, तरह तरह का प्रसाद बनाती है और फिर चढ़ाती है. पिठोरी अमावस्या के दिन काली रात होती है, लेकिन इस दिन आसमान में लाखों करोड़ों तारे छाए हुए रहते है. मानों ऐसा लगता है कि किसी ने गेहूं का आटा आसमान में उड़ा दिया है, और वो तारों कर रूप में दिखाई दे रहा है. एक यह भी कारण है कि इसे पिठोरी अमावस्या कहते है.

                          पोलाला अमावस्या:-----

     पोलाला अमावस्या को मुख्यतः आंध्रप्रदेश, ओड़िसा, कर्नाटका एवं तमिलनाडु में मनाया जाता है. इस दिन  भगवान् पोलेराम्मा की पूजा की जाती है. वहां इसे सावन महीने की अमावस्या के रूप में मनाया जाता है. पोलेराम्मा वहां स्थानीय भगवान् है, जिन्हें भगवान् शक्ति या दुर्गा का रूप माना जाता है. इस व्रत को आंध्रप्रदेश एवं कर्नाटका के कुछ हिस्सों में रखा जाता है. उत्तरी भारत के लोग इसे श्रावण अमावस्या के रूप में मनाते है. पोलेराम्मा को बच्चों का रक्षक माना जाता है.

                     पोलाला अमावस्या पूजा विधि:-----

     इस दिन औरतें, जल्दी उठ घर की साफ़ सफाई करती है, पवित्र नदी में स्नान करती है. पोलाला अमावस्या का व्रत विवाहिता औरतें, मुख्य रूप से माँ अपने बच्चों में लिखे रखती है.

     इस व्रत को रखने से पोलेराम्मा उनके बच्चों की रक्षा करती है. मुख्य रूप से छोटी माता (Small pox) एवं बड़ी माता (Chicken pox) जैसी भयानक बीमारियों से उनकी रक्षा होती है. बरसात के समय वायरल और तरह तरह की बीमारियों बच्चों को जल्दी अपनी गिरफ्त में ले लेती है, इन बीमारियों से बचने के लिए ये व्रत रखते है. चेचक, स्माल पॉक्स के दाग दूर करने के घरेलु उपाय यहाँ पढ़ें.

     इस दिन प्रसाद के रूप में थालिगालू प्रवंनाम (चावल के आते की सेवई को,नारियल के दूध के साथ बनाते है) एवं बिल्ला कुदुमुलू (चावल के आते की रोटी) को बनाया जाता है. पोलेराम्मा की फोटो को पूजा वाले स्थान में रखते है, फिर विधि-विधान से इनकी पूजा की जाती है.

     पोलेराम्मा के रूप में सुरन (एक तरह की सब्जी) की पूजा की जाती है.
पूजा के समय दुर्गा चालीसा को 108 बार पढ़ा जाता है.
रक्षा सूत्र को देवी के चरणों में चढ़ाया जाता है, फिर इसे माँ खुद को एवं अपने बच्चों को इसे बांधती है.

    इस व्रत के दिन अगर आपका लड़का है, तो चना दाल और गुड़ को मिलाकर लड्डू बनाये जाते है, और फिर उसे प्रसाद के रूप में चढ़ाकर बच्चों को खिलाते है.
अगर लड़की होती है तो उड़द दाल के वडा बना कर चढ़ाया जाता है.

                 पोलाला अमावस्या कथा:-----

     एक बार एक औरत का बच्चा बहुत बीमार हो जाता है, उसको कोई भयानक बीमारी घेर लेती है. औरत बहुत गरीब होती, उसके पास इलाज के लिए पैसे नहीं होते है. लेकिन वह अपने बच्चे से बहुत प्यार करती है, वो किसी भी तरह अपने बेटे को ठीक देखना चाहती है. एक दिन मंदिर में बैठी वह रो रही थी, तभी वहां से एक बूढ़ी औरत निकली उसने, उस औरत से रोने का कारण पुछा. तब उस औरत ने उस बूढ़ी अम्मा को सब बताया. उस बूढ़ी अम्मा ने उसे पोलाला अमावस्या के बारे में बताया. और पोलेराम्मा देवी एवं उनके व्रत के बारे में विस्तार से बताया.

     पोलाला अमावस्या अगले दिन ही थी, जिसे उस औरत ने पुरे विधि विधान से उस व्रत को रखा. मृत्युशैया में लेटा उसका बेटा, व्रत के अगले दिन ही झट खड़ा हो गया और इस तरह पोलेराम्मा के व्रत से उस औरत को उसका बच्चा मिल गया.


                            (साभार एवं सौजन्य-दीपावली .को .इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.09.2021-सोमवार.