सावन कविता - " वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है "

Started by Atul Kaviraje, September 07, 2021, 01:26:01 AM

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Atul Kaviraje

मित्रो,

     हिंदी कविता के कवी श्री -नरेंद्र वर्मा, की कविता आपको सुनाता  हू. यह कविता सावन (वर्षा ऋतू ) पर आधारित है. हिंदी कविता का मेरा यह (पुष्प-28) आपको सप्रणाम  सादर करता हू. इस कविता के बोल है - " वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है "

                               हिंदी कविता-(पुष्प-28)
                                    सावन कविता
                       " वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है "
                                  कवी -नरेंद्र वर्मा
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वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है-----
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वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।
उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।

चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।
गुड़-गुड़ कर के बादल भी गरज रहे है ।।

ठंडी-ठंडी हवा चल रही मन को भा रही है ।
बागों में लताओं पर फूल खिल रहे है ।।

मदमस्त मोर पीहू पीहू करके नाच रहा है ।
कोयल भी मस्त राग सुना रही है ।।

मेंढक भी प्यारे संगीत गा रहे है ।
बाज भी बादलों के ऊपर उड़ान भरकर इतरा रहा है ।।

कल कल करती नदियां, इठलाती हुई बह रही है ।
मानो कोई नया संगीत सुना रही है ।।

बागों में फूल खिल रहे, सुगंध मन को भा रही है ।
सावन में झूले पर झूल रही है बिटिया ।।

वर्षा बहार भू पर जीवन की ज्योति जला रही है ।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।।


                         कवी -नरेंद्र वर्मा
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                 (साभार एवं सौजन्य-हिंदीपोएम.ऑर्ग)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-07.09.2021-मंगळवार.