"हरतालिका तीज" - लेख - कविता - क्रमांक-3

Started by Atul Kaviraje, September 09, 2021, 10:56:22 PM

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Atul Kaviraje

                                    "हरतालिका तीज"
                                      लेख क्रमांक-3
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मित्रो,

     आज का दिन, याने ०९.०९.२०२१-गुरुवार, का दिन हरतालिका तिज का शुभ पर्व लेकर आया है. श्री गणेश चतुर्थी, का ये पूर्व दिन,  हरतालका तिज, को उतना  ही महत्त्व प्राप्त है.  आईए जानते  है, इस दिन का महत्त्व, महत्त्वपूर्ण लेख,व्रत विधी, पूजा विधी, कथा, कविता, एवं अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी.

     भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने की थी 12 साल की कठोर तपस्या, जानें व्रत कथा और पूजा विधि. हरतालिका तीज का व्रत कठिन व्रतों में से एक माना गया है. हरतालिका तीज का व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है.

     हरतालिका तीज का व्रत कठिन व्रतों में से एक माना गया है. हरतालिका तीज का व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. ये व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं. वहीं, अविवाहित महिलाएं मनचाहा वर पाने के लिए भी ये व्रत रखती हैं. हरतालिका तीज का व्रत हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. इस बार यह पर्व 9  सितंबर 2021, गुरुवार को पड़ रहा है. कहा जाता है कि इस व्रत को जो कोई पूरे विधि-विधान के साथ करता है, उसके जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं. हरतालिका तीज के व्रत को लेकर मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में सुख और संतान की प्राप्ति होती है. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक हरतालिका तीज का पर्व त्रेतायुग से मनाया जा रहा है. इस दिन जो महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पुराणों में वर्णन है कि हरतालिका तीज के दिन ही पार्वती माता की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी स्वीकार किया था.

                       हरतालिका तीज व्रत कथा-----

     विवाहित जीवन के लिए इस दिन की जाने वाली पूजा और व्रत को श्रेष्ठ माना गया है. इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु, संतान प्राप्ती और सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं. भगवान शिव और माता पार्वती की अराधना की जाती है. पूरा दिन निर्जला रहकर व्रत को पूर्ण किया जाता है. भगवान शिव ने माता पार्वती को हरतालिका तीज के व्रत के बारे में बताया था. पौराणिक कथा के अनुसार मां गौरी ने पार्वती के रूप में हिमालय के घर में जन्म लिया था. माता पार्वती बचपन से ही भगवान शिव को वर के रूप में प्राप्त करना चाहती थीं. और इसके लिए उन्होंने 12 साल तक कठोर तपस्या भी की. माता पार्वती ने इस तपस्या के दौरान अन्न और जल ग्रहण नहीं किया.

     एक दिन नारद जी ने हिमालय राज को बोला कि भगवान विष्णु आपकी पुत्री पार्वती से विवाह करना चाहते हैं. वहीं, दूसरी ओर भगवान विष्णु को जाकर कहा कि महाराज हिमालय अपनी पुत्री पार्वती का विवाह आपसे करना चाहते हैं. ऐसा सुनकर भगवान विष्णु ने हां कर दी. वनारद जी ने पार्वती को जाकर कहा कि भगवान विष्णु के साथ आपका विवाह तय कर दिया गया है. ऐसा सुनकर माता पार्वती निराश हो गईं और एक एकांत स्तान पर जाकर अपनी तपस्या फिर से शुरू कर दी. माता पार्वती सिर्फ भगवान शिव से ही विवाह करना चाहती थीं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए माता पार्वती ने मिट्टी के शिवलिंग का निर्माण किया. पौराणिक मान्यता के अनुसार उस दिन हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया का दिन था. माता पार्वती ने उस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की स्तुति की. तब भगवान शिव माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया.

                  हरतालिका तीज पूजा विधि-----

     हरतालिका तीज का व्रत सभी व्रतों में कापी कठिन माना जाता है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. सवेरे उठकर, स्नान करके साफ वस्क्ष पहन लें और व्रत का संकल्प लें. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. हरतालिका तीज का व्रत प्रदोषकाल में किया जाता है. दिन छिपने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की रेट से बनी मूर्ति की स्थापना की जाती है और उनकी पूजा करें. पूजा सामग्री में सुहाग का सारा सामान रख लें और माता पार्वती को अर्पित करें. हरतालिका तीज की व्रत कथा करने के बाद व्रत खोल लें.

                            (संदर्भ-ए बी पी लाईव्ह .कॉम)
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                                  हरियाली तीज
                                 कविता क्रमांक-3
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दीपक हु देहरी का
तेरी आँगन में ही महकती हु
सिंदूर तेरे नाम का
तेरे चरणों में खुद को समर्पित करती हूँ।

ये सिन्दूर ये रोली ये कुमकुम
समर्पित तुझको ये सारे संस्कार है
मेहँदी तेरी नाम की
तुझसे ही मेरा सारा संसार है।

गणगौर का त्यौहार है
उत्सव का मोहल्ल है
रब से इकरार है
तेरी उम्र हो सो हज़ार है।


-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-09.09.2021-गुरुवार.