सावन कविता - " नानी आज मुझे बतलाना "

Started by Atul Kaviraje, September 10, 2021, 01:57:15 AM

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Atul Kaviraje

मित्रो,

     हिंदी कविता की कवयित्री -आश्रिता दासारी, की कविता आपको सुनाता  हू. यह कविता सावन (वर्षा ऋतू ) पर आधारित है. हिंदी कविता का मेरा यह (पुष्प-31)आपको सप्रणाम  सादर करता हू. इस कविता के बोल है - " नानी आज मुझे बतलाना "

                               हिंदी कविता-(पुष्प-31)
                                    सावन कविता
                             " नानी आज मुझे बतलाना "
                              कवयित्री -आश्रिता दासारी
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नानी आज मुझे बतलाना-----
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नानी आज मुझे बतलाना ।
कहां से आती वर्षा पानी ।।

सोच न पाओ समझ न पाओ ।
है वर्षा की यहां मनमानी ।।

ऊपर नीला आसमान है ।
सब है सूरज चांद सितारे ।।

पानी फिर यहां कहां से आया ।
समझ ना आई बात हमारे ।।

सूरज की किरणें धरती पर अपने संग गर्मी लाती ।
गर्मी जल को भाप बनाकर ।।

आसमान तक जा पहुंचाती ।
ऊपर आसमान में जाकर ।।

भाप से काले बादल बनते ।
उमड़-घुमड़ यह बादल ही ।।

खूब गरजते खूब बरसते ।
ऐसे ही पानी से बादल ।।

बादल से फिर बनता पानी ।
अब तो जान गई बिटिया तुम ।।

कहां से आती वर्षा पानी ।।


                         कवयित्री -आश्रिता दासारी
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                        (साभार एवं सौजन्य-हिंदीपोएम.ऑर्ग)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-10.09.2021-शुक्रवार.