II गणपती बाप्पा मोरया II-लेख क्रमांक-2

Started by Atul Kaviraje, September 11, 2021, 03:24:26 PM

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Atul Kaviraje

                                 II गणपती बाप्पा मोरया II
                                        लेख क्रमांक-2
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मित्रो, 

     इस माह याने सीतंबर के दिनांक-१०.०९.२०२१-शुक्रवार रोज गणेशजी हमारे यहा पधार रहे है. बहोत ही जोर शोर उनके आगमन कि हम तैयारी कर रहे है. श्री गणेश जी का हमें बेसब्रीसे इंतजार है. मराठी कविता के सभी हिंदी भाई बहन कवी एवं कवयित्री को इस शुभ अवसर कि बहोत सारी शुभ कामनाये. आईए जानते   है, गणेशोत्सव ( गणेश चतुर्थी ) के बारे मी महत्त्वपूर्ण जानकारी , इसका महत्त्व, मनाने का तरीका, व्रत, कथा, कविता, शुभ संदेश, शुभ शायरी, और बहोत कुछ.


   गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी 2021 व्रत महत्व, कहानी, पूजा विधि-----

     हर चन्द्र महीने में हिन्दू कैलेंडर में 2 चतुर्थी तिथी होती है. हिन्दू शास्त्रों के अनुसार चतुर्थी तिथि भगवान गणेश से सम्बंधित होती है. शुक्ल पक्ष के दौरान अमावस्या या नए चाँद के बाद चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में जाना जाता है, और कृष्ण पक्ष के दौरान एक पूर्णमासी या पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. 

     यद्यपि विनायक चतुर्थी उपवास हर महीने किया जाता है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण विनायक चतुर्थी भाद्रपद के महीने में होती है. भाद्रपद के दौरान विनायक चतुर्थी, गणेश चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है. गणेश चतुर्थी को हर साल पूरे भारत में भगवान गणेश के जन्मदिन के उपलक्ष्य में हिन्दुओं द्वारा मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी का त्यौहार चातुर्मास में आता है. चौमासा या चातुर्मास व्रत का महत्व यहाँ पढ़ें. चातुर्मास त्यौहारों से भरा होता हैं. यह चार महीने पूजा अर्चना की दृष्टी से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. इन दिनों बहुत से धार्मिक उत्सव किये जाते हैं. पूरे श्रावण मास में शिव भक्ति की जाती हैं.

       भादो के महीने में कृष्ण पक्ष चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाई जाती हैं, और विनायक चतुर्थी हर महीने मनाई जाती है. इस दिन से दस दिनों तक गणेश पूजा की जाती हैं. इसका महत्व देश के महाराष्ट्र प्रांत में अधिक देखा जाता हैं. महाराष्ट्र में गणेश जी का एक विशेष स्थान होता हैं. वहाँ पुरे रीती रिवाजों के साथ गणेश जी की स्थापना की जाती हैं उनका पूजन किया जाता हैं. पूरा देश गणेश उत्सव मनाता हैं.

                                गणेश चतुर्थी-----

     गणेश चतुर्थी 2021 में कब मनाई जाएगी व शुभमुहूर्त कब है?-----

गणेश पूजा की तारीख    10 सितंबर 2021
गणेश पूजा का मुहूर्त       11:11 से 13:41
कुल समय                     2 घंटे 29 मिनट


                           गणेश चतुर्थी मनाने का तरीका-----

     नई दिल्ली और डीएसटी के स्थानीय समय के साथ 24 घंटे की घड़ी सभी मूहूर्त के समय के लिए समायोजित है. 

     गणेश उत्सव को सामाजिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता हैं क्यूंकि यह त्यौहार केवल घर के लोगो के बीच ही नहीं सभी आस पड़ोसियों के साथ मिलकर मनाया जाता हैं. गणेश जी की स्थापना घरो के आलावा कॉलोनी एवम नगर के सभी हिस्सों में की जाती हैं. विभिन्न प्रकार के आयोजन, प्रतियोगिता रखी जाती हैं, जिनमे सभी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. ऐसे में गणेश उत्सव के बहाने सभी में एकता आती हैं. व्यस्त समय से थोड़ा वक्त निकाल कर व्यक्ति अपने आस पास के परिवेश से जुड़ता हैं.

                     गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व-----

     जीवन में सुख एवं शांति के लिए गणेश जी की पूजा की जाती हैं.
संतान प्राप्ति के लिए भी महिलायें गणेश चतुर्थी का व्रत करती हैं.
बच्चों एवम घर परिवार के सुख के लिए मातायें गणेश जी की उपासना करती हैं.
शादी जैसे कार्यों के लिए भी गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता हैं.
किसी भी पूजा के पूर्व गणेश जी का पूजन एवम आरती की जाती हैं. तब ही कोई भी पूजा सफल मानी जाती हैं. गणेश चतुर्थी को संकटा चतुर्थी भी कहा जाता हैं. इसे करने से लोगो के संकट दूर होते हैं.
                         
                      विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व-----

     भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के आलावा हर महीने की चतुर्थी का व्रत भी किया जाता हैं. जिसे विनायक चतुर्थी कहा जाता है. विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है. वरद का अर्थ होता है "भगवान से किसी भी इच्छा को पूरा करने के लिए पूछना". जो इस उपवास का पालन करते हैं, उन भक्तों को भगवान गणेश ज्ञान और धैर्य के साथ आशीर्वाद देते हैं. बुद्धि और धैर्य दो गुण है, जिनके महत्व को मानव जाति में युगों से जाना जाता है. जो कोई भी इन गुणों को प्राप्त करता है, वह जीवन में प्रगति कर सकता है साथ वह अपनी इच्छा भी प्राप्त कर सकता है. विनायक चतुर्थी / गणेश चतुर्थी पर गणेश पूजा दोपहर के दौरान की जाती है जो हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से मध्यान्ह होता है.

                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दीपावली.को.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-11.09.2021-शनिवार.