कृष्ण-राधा-गौळण - "गेला हरी कोण्या गांवा"

Started by Atul Kaviraje, September 13, 2021, 11:07:58 PM

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Atul Kaviraje

                                        कृष्ण-राधा-गौळण
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मित्र/मैत्रिणींनो,

      आज , श्री प्रल्हाद शिंदे यांच्या आवाजात ऐकुया कृष्ण-राधा-गौळण. या गौळण गीताचे बोल आहेत- "गेला हरी कोण्या गांवा"


                                    "गेला हरी कोण्या गांवा"
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गेला हरी कोण्या गांवा
कुणाला नाहीं कसा ठावा
घुमेना गोकुळात पावा
ग उडतो डोळा डोळा बाई डावा...

रमती कुन्जवनी बाला
असावा तिथे नंदलाला
कुणी जा आना मुकुन्दाला
जीवा हा वेळा पिसा झाला
हरिचा शोध कुणी लावा
ग उडतो डोळा डोळा बाई डावा...

कुणाशि केला जरी दंगा
मला येऊन झनि सांगा
त्यास दाखवीन मी इंगा
नकोपन लपऊ  श्रीरंगा
माझा श्याम मला दावा
ग उडतो डोळा डोळा बाई डावा...

कधी न झाली आजवर्ती
ग नज़रे आड़ कृष्ण मूर्ति
अस्ता गोपी सदा भवति
कशी मग पडली भूल पूर्ति
हरी चा किती करू धावा
ग उडतो डोळा डोळा बाई डावा...

राधा घरात जर नाहीं
कोणी जा संजयास पाहि
वडा खाली यमुने दोही
धरुनि आना गे लव लाहि
त्याचा कढला कृष्ण कावा
ग उडतो डोळा डोळा बाई डावा...

गेला हरी कुन्या गांवा
कुणाला नहीं कसा ठावा
घुमेना गोकुळात पावा
ग उडतो डोळा डोळा बाई डावा...


                    गायक - प्रल्हाद  शिंदे
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-13.09.2021-सोमवार.