"इंजिनीअर्स डे-अभियंता दिन" - लेख क्रमांक-१

Started by Atul Kaviraje, September 15, 2021, 12:23:21 AM

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Atul Kaviraje

                                 "इंजिनीअर्स डे-अभियंता दिन"
                                         लेख क्रमांक-१ 
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मित्रो,

     आज दिनांक-१५.०९.२०२१-बुधवार का दिन है. आज के दिन का विशेष यह है की, आज का दिन "इंजिनीअर्स डे-अभियंता दिन" के नाम से मशहूर है. आईए, जानते है, इस दिन का महत्त्व, महत्त्वपूर्ण   जानकारी , एवं लघु कविताये, शायरी, कोट्स एवं मेसेजेस.

     भारत में प्रतिवर्ष 15 सितंबर को अभियन्ता दिवस (इंजीनियर्स डे) के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन भारत के महान अभियन्ता एवं भारतरत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्मदिन है।

     एम् विश्वेश्वरैया भारत के महान इंजिनियरों में से एक थे, इन्होंने ही आधुनिक भारत की रचना की और भारत को नया रूप दिया. उनकी दृष्टि और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में समर्पण भारत के लिए कुछ असाधारण योगदान दिया।

                   दुनिया के अन्य क्षेत्र में इंजिनियर डे-----


क्रमांक    देश   तारीख

1.   अर्जेंटीना   16 जून

2.   बांग्लादेश   7 मई

3.   बेल्जियम   20 मार्च

4.   कोलंबिया   17 अगस्त

5.   आइसलैंड   10 अप्रैल

6.   ईरान   24 फ़रवरी

7.   इटली   15 जून

8.   मैक्सिको   1 जुलाई

9.   पेरू   8 जून

10.   रोमानिया   14 सितम्बर

11.   तुर्की   5 दिसम्बर

                            शुरुआती जीवन-----

     विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितम्बर को 1860 में मैसूर रियासत में हुआ था, जो आज कर्नाटका राज्य बन गया है. इनके पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत विद्वान और आयुर्वेदिक चिकित्सक थे. इनकी माता वेंकचाम्मा एक धार्मिक महिला थी. जब विश्वेश्वरैया 15 साल के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था. चिकबल्लापुर से इन्होंने प्रायमरी स्कूल की पढाई पूरी की, और आगे की पढाई के लिए वे बैंग्लोर चले गए. 1881 में विश्वेश्वरैया ने मद्रास यूनिवर्सिटी के सेंट्रल कॉलेज, बैंग्लोर से बीए की परीक्षा पास की. इसके बाद मैसूर सरकार से उन्हें सहायता मिली और उन्होंने पूना के साइंस कॉलेज में इंजीनियरिंग के लिए दाखिला लिया. 1883 में LCE और FCE एग्जाम में उनका पहला स्थान आया. (ये परीक्षा आज के समय BE की तरह है)

                         मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया करियर-----

     इंजीनियरिंग पास करने के बाद विश्वेश्वरैया को बॉम्बे सरकार की तरफ से जॉब का ऑफर आया, और उन्हें नासिक में असिस्टेंट इंजिनियर के तौर पर काम मिला. एक इंजीनियर के रूप में उन्होंने बहुत से अद्भुत काम किये. उन्होंने सिन्धु नदी से पानी की सप्लाई सुक्कुर गाँव तक करवाई, साथ ही एक नई सिंचाई प्रणाली 'ब्लाक सिस्टम' को शुरू किया. इन्होने बाँध में इस्पात के दरवाजे लगवाए, ताकि बाँध के पानी के प्रवाह को आसानी से रोका जा सके. उन्होंने मैसूर में कृष्णराज सागर बांध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ऐसे बहुत से और कार्य विश्वेश्वरैया ने किये, जिसकी लिस्ट अंतहीन है.

     1903 में पुणे के खड़कवासला जलाशय में बाँध बनवाया. इसके दरवाजे ऐसे थे जो बाढ़ के दबाब को भी झेल सकते थे, और इससे बाँध को भी कोई नुकसान नहीं पहुँचता था. इस बांध की सफलता के बाद ग्वालियर में तिगरा बांध एवं कर्नाटक के मैसूर में कृष्णा राजा सागरा (KRS) का निर्माण किया गया. कावेरी नदी पर बना कृष्णा राजा सागरा को विश्वेश्वरैया ने अपनी देख रेख में बनवाया था, इसके बाद इस बांध का उद्घाटन हुआ. जब ये बांध का निर्माण हो रहा था, तब एशिया में यह सबसे बड़ा जलाशय था.



                (साभार एवं सौजन्य-मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया)
                             (संदर्भ - विकिपीडिया .ऑर्ग)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-15.09.2021-बुधवार.