कृष्ण भाव-गीत - "अजून तरळते दृष्टीपुढती "

Started by Atul Kaviraje, September 19, 2021, 07:40:11 PM

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Atul Kaviraje

मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज  ऐकुया एक कृष्ण भाव-गीत. या गीताचे गीतकार आहेत  अरुणा  ढेरे , आणि याला स्वर दिला आहे श्रेया  घोषाल यांनी. या भाव-गीताचे बोल आहेत-"अजून तरळते दृष्टीपुढती "   

                                       कृष्ण भाव-गीत
                                  "अजून तरळते दृष्टीपुढती " 
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अजून  तरळते  दृष्टीपुढती , ते  मोराचे  पीस  निळे
झिळमिळत्या  रंगाचे गारुड ,अजून मला पुरते नकळे!

ती  मुरली , ती  तुडुंब  यमुना , कदंब  फुलले  काठी
खरेच  का  तो  होता  तिथला , गोकुळचा  रहिवासी  ?
खरीच  होती  राधा  , अन  तो  रास  खरा  होता  का  ?
नवलपरीच्या  लीला  त्याच्या  ,भासच  तो  होता  का  ?
त्या  अविनाशी  मूलपणाचे , रहस्यही  पुरते  नकळे  !

तो  तर  होता  गोपसखा , कि  तरुण  प्रियकर  होता
धीट  किती  तो  लोकप्रिय , किती  नित्य  अग्रणी  होता
मधुवचनी  तो  मुरलीमनोहर , रूपवंत  वेल्हाळ
समयज्ञही  तो  चतुर  जाणता , शत्रूंजय  कळिकाळ
त्या  नितनूतन  शत रूपांचे , रहस्यही  पुरते  नकळे  !

तो  बंधू , तो  पती  पिता , तो  परममित्र , तो  राजा
तो  द्रष्टा  उपदेशक  प्रेरक , आश्रय  तो  सकलांचा   
सर्वांसाठी  सहृदय  तरीही , तो  तर  त्या  पलीकडचा
अलिप्त  सावध  निर्मम  साक्षी , सगळ्या  सुखदुःखाचा
अपूर्व  त्या  जीवनयोग्याचे रहस्यही  पुरते  नकळे  !

सर्व  मानवी  नात्यांना , अति  सुंदर  केले  त्याने
आयुष्याला  अर्थ  दिला , रसभरल्या  चैतन्याने
काय  म्हणावे  ? काय  नेमके , द्यावे  त्याला  नाव  ?
काळाचा  होता  का  स्वामी , तो  होता  का  देव  ?
गूढ  निळ्या  त्या  अस्तित्त्वाचे , रहस्यही  पुरते  नकळे  !

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                              गीत  : अरुणा  ढेरे
                              संगीत  : मिलिंद  जोशी
                              स्वर  : श्रेया  घोषाल
                              गीत  प्रकार  : भाव  गीत
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                     (साभार आणि सौजन्य-संदर्भ-आठवणीतील गाणी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.09.2021-रविवार.