II वर्षा ऋतु (बारिश का मौसम) पर कविता II-बारिश की बूंद क्रमांक-12

Started by Atul Kaviraje, September 22, 2021, 12:26:20 AM

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Atul Kaviraje

                        II वर्षा ऋतु (बारिश का मौसम) पर कविता II
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मित्रो,

     आज भी आसमान काले बादलों  से भरा हुआ है. बारिश का सुहावना मौसम अभी भी अपना रूप दिखा रहा है. अभी भी बुंदा-बांदी जारी है. आईये, मित्रो, इस वर्षा ऋतू से तन -मन भीगोते  हुए सुनेंगे, कुछ कविताये, रचनाये. बारिश की इस बूंद (बूंद क्रमांक-12), के बोल है- "सावन आयो रे"


                                    बारिश का मौसम कविता
                                   बारिश की बूंद क्रमांक-12
                                        "सावन आयो रे"
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बारिश का मौसम कविता – सावन आयो रे !---
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सावन आयो रे, आयो रे,
सावन आयो रे।
उमड़-घुमड़ कर कारी बदरिया
जल बरसायो रे।

मेंहदी वाला रंग रचाकर
सखियां झूला झूलें
पांव की पायल कहती है
कि उड़ते बादल छू लें
पीउ-पीउ कर के पपिहा ने
शोर मचायो रे,
सावन आयो रे।

सर-सर-सर-सर उड़े चुनरिया
हवा चले सन-सन-सन
रिमझिम-रिमझिम बरसे पानी
भीगे गोरिया का तन
सब सखियन ने मिलकर
राग मल्हार सुनायो रे,
सावन आयो रे।

बहका-बहका मौसम है
ऋत पिया मिलन की आई
सब सखियाँ मिल तीज मनावें
हरियाली है छाई
जिसके पिया परदेस बसे
चिठिया भिजवायो रे,
सावन आयो रे।

– सुनील जोगी
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-क्लीन स्टडी .कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-22.09.2021-बुधवार.