II वर्षा ऋतु (बारिश का मौसम) पर कविता II- बारिश की बूंद क्रमांक-17

Started by Atul Kaviraje, September 27, 2021, 01:07:13 AM

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Atul Kaviraje

                       II वर्षा ऋतु (बारिश का मौसम) पर कविता II
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मित्रो,

     आज भी आसमान काले बादलों  से भरा हुआ है. बारिश का सुहावना मौसम अभी भी अपना रूप दिखा रहा है. अभी भी बुंदा-बांदी जारी है. आईये, मित्रो, इस वर्षा ऋतू से तन -मन भीगोते  हुए सुनेंगे, कुछ कविताये, रचनाये. बारिश की इस बूंद (बूंद क्रमांक-17), के बोल है- "अहा क्या तो बारिश है"


                                  बारिश का मौसम कविता
                                 बारिश की बूंद क्रमांक-17
                                  "अहा क्या तो बारिश है"
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बारिश का मौसम कविता – अहा क्या तो बारिश है !---
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मुंबई की बारिश हरी भरी
पल में तोला पल में माशा
मायावी है ये बारिश
मज़ा तो यह है कि
सड़क के इक तरफ़
बारिश है और दूसरी तरफ़
न बारिश न कीचड़
अचानक
झोंका आया हवा का
झमाझम बरस गए बादल
रस्ते भर गए खढ्ढे दिखते नहीं
देखो! वह आदमी फिसल गया
वह पेड़ गिर गया
ऑटो टकरा गया मारुति से
अचानक सब थम गया
ये बारिश
नाम ही नहीं ले रही रुकने का
पटरियों पर भर गया है पानी
गाडियाँ रुक गई हैं
बावजूद इसके रुकता नहीं
जीवन यहाँ
बारिश को भी आता है
मुंबई में मज़ा
पूरे चार महीने खेलती है
लोगों से आँख-मिचौली

– मधुलता अरोरा
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-क्लीन स्टडी .कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-27.09.2021-सोमवार.