"शिक्षक दिन"-कविता क्रमांक-5

Started by Atul Kaviraje, October 05, 2021, 01:03:36 AM

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Atul Kaviraje

                                         "शिक्षक दिन"
                                       कविता क्रमांक-5
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मित्रो,

     आज दिनांक-०५ .१०.२०२१-मंगलवार है. यह दिन "शिक्षक दिन" के नामसे भी मशहूर है. आईए पढते है शिक्षक के गुणगानपर कुछ कविताये, रचनाये---   


दीपक सा जलता है गुरु,
फैलाने ज्ञान का प्रकाश !
न भूख उसे किसी दौलत की,
न कोई लालच न आस !!

उसे चाहिए, हमारी उपलब्ध‍ियां उंचाईयां,
जहां हम जब खड़े होकर उनकी तरफ देखें पलटकर !
तो गौरव से उठ जाए सर उनका,
हो जाए सीना चौड़ा !!

हर वक्त साथ चलता है गुरु,
करता हममें गुणों की तलाश !
फिर तराशता है शिद्दत से,
और बना देता है सबसे खास !!

उसे नहीं चाहिए कोई वाहवाही,
बस रोकता है वह गुणों की तबाही !
और सहेजता है हममें,
एक नेक और काबिल इंसान को !!

दीपक सा जलता है गुरु,
फैलाने ज्ञान का प्रकाश !
न भूख उसे किसी दौलत की,
न कोई लालच न आस !!


                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-आर के अलर्ट.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-05.10.2021-मंगळवार.