"नवरात्रि" - कविता क्रमांक-2

Started by Atul Kaviraje, October 07, 2021, 01:48:12 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                            "नवरात्रि"
                                         कविता क्रमांक-2         
                                       ------------------

मित्रो,

     आज दिनांक-०७.१०.२०२१-गुरुवार के पावन पर्व पर माँ का आगमन हुआ है. आईए नवरात्री के इस शुभ दिन पर देवी माँ का स्वागत करें. मराठी कविता के मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयो को इस नवरात्री के दिन की बहोत सारी हार्दिक शुभेच्छाये. आईए सूनते है, देवी की स्तुती पर कुछ कविताये ,रचनाये .

नवरात्री में नवदुर्गा नव नव रूप धरे
हर रूप की अपनी महिमा
कुछ शब्द न कह पाएं
शैलपुत्री तुम प्रथम कहलाती
हिमराज की सुता कहलाती
द्वित्य ब्रह्म चारिणी हो तुम
दुखियों की दुखहारिणी हो तुम
चंद्र घटना तृतीय रूप है तेरा
दुष्ट प्रकम्पित होते सारा
कुश्मांड़ा तेरा रूप चतुर्थकम
उल्लास का देती नया सोपनं
पंचम स्कन्द माता कहलाती
कार्तिकेय के संग पूजी जाती
षष्टम कात्यायनी हो तुम
कात्यान ऋषि की सुता हो तुम
कालरात्रि तेरा सप्तम रूप है
दुष्टो का बेडा गर्क है
अष्टम में तुम महा गौरी
कुंदन सुमन सी कोमल नारी
नवम सिद्धि दात्री हो तुम
सुख समृद्धि और मोक्ष की माता हो तुम


                (साभार एवंसौजन्य-संदर्भ-हिंदीकविता शायरी.इन)
               --------------------------------------------


-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-07.10.2021-गुरुवार.