"आंतररराष्ट्रीय बालिका दिन"-बालिका दिवस पर कविता-कविता क्रमांक-१

Started by Atul Kaviraje, October 11, 2021, 01:44:20 AM

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Atul Kaviraje

                                    "आंतररराष्ट्रीय बालिका दिन"
                                      बालिका दिवस पर कविता
                                           कविता क्रमांक-१
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मित्रो,

     आज दिनांक ११.१०.२०२१-सोमवार है . आज का दिन "आंतररराष्ट्रीय बालिका दिन" यह नाम से भी  जाना जाता है. आईए जानते है, इस दिन का महत्त्व, अन्य जानकारी , शुभेच्छाये, और कुछ कविताये, रचनाये.

बालिका दिवस पर कविता –

     राष्ट्रीय बालिका दिवस -राष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल ११ अक्तूबर  को मनाया जाता है | इसी दिन इंदिरा गाँधी जी पहली बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठी थी उसी दिन की याद में हम हर वर्ष ११ अक्तूबर को राष्ट्रीय बालिका दिवस बड़े ही उत्साह पूर्वक मानते है | राष्ट्रीय बालिका दिवस के दिन हमें लड़का-लड़की में भेद नहीं करने व समाज के लोगों को लिंग समानता के बारे में जागरूक करने की प्रतिज्ञा लेनी चाहिए |कन्या भ्रूण हत्या की वजह से लड़कियों के अनुपात में काफ़ी कमी आयी है। पूरे देश में लिंगानुपात 933:1000 है। आज में आपके साथ इस पोस्ट "बालिका दिवस पर कविता, National Girls Child Day Poem in Hindi " के माध्यम से बेटियों पर कविता शेयर कर रहा हु जिसे आप अपने दोस्तों, बेटियों, पुत्रवधु को आसानी से शेयर व् सांझा कर सकते है

     बालिकाओं की सेहत, पोषण व पढ़ाई जैसी चीज़ों पर ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है ताकि बड़ी होकर वे शारीरिक, आर्थिक, मानसिक व भावनात्मक रूप से आत्मनिर्भर व सक्षम बन सकें।  किशोरियों व बालिकाओं के कल्याण के लिए सरकार ने 'समग्र बाल विकास सेवा', 'धनलक्ष्मी' जैसी योजनाएँ चलाई हैं। हाल ही में लागू हुई 'सबला योजना' किशोरियों के सशक्तीकरण के लिए समर्पित है। इन सबका उद्देश्य लड़कियों, ख़ासकर किशोरियों को सशक्त बनाना है ताकि वे आगे चलकर एक बेहतर समाज के निर्माण में योगदान दे सकें।

बालिका दिवस पर कविता---

बहुत चंचल बहुत खुशनुमा सी होती हैं बेटियाँ
नाजुक सा दिल रखती हैं, मासूम सी होती हैं बेटियाँ

बात बात पर रोती हैं, नादान सी होती हैं बेटियाँ
रहमत से भरभूर खुदा की नेमत हैं बेटियाँ

हर घर महक उठता है, जहाँ मुस्कुराती हैं बेटियाँ
अजीब सी तकलीफ होती हैं, जब दूर जाती हैं बेटियाँ

घर लगता है सूना – सूना पल – पल याद आती हैं बेटियाँ
खुशी की झलक और हर बाबुल की लाड़ली होती हैं बेटियाँ

ये हम नहीं कहते ये तो रब कहता है
कि जब मैं खुश रहता हूँ जो जन्म लेती हैं बेटियाँ

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राष्ट्रीय बालिका दिवस पर कविता---


फूलों सी नाज़ुक, चाँद सी उजली मेरी गुड़िया।
मेरी तो अपनी एक बस, यही प्यारी सी दुनिया।।

सरगम से लहक उठता मेरा आंगन।
चलने से उसके, जब बजती पायलिया।।

जल तरंग सी छिड़ जाती है।
जब तुतलाती बोले, मेरी गुड़िया।।

गद -गद दिल मेरा हो जाये।
बाबा -बाबा कहकर, लिपटे जब गुड़िया।।

कभी घोड़ा मुझे बनाकर, खुद सवारी करती गुड़िया।
बड़ी भली सी लगती है, जब मिट्टी में सनती गुड़िया।।

दफ्तर से जब लौटकर आऊं।
दौड़कर पानी लाती गुड़िया।।

कभी जो मैं, उसकी माँ से लड़ जाऊं।
खूब डांटती नन्ही सी गुड़िया।।

फिर दोनों में सुलह कराती।
प्यारी -प्यारी बातों से गुड़िया।।

मेरी तो वो कमजोरी है, मेरी सांसो की डोरी है।
प्यारी नन्ही सी मेरी गुड़िया।।

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राष्ट्रीय बालिका दिवस पर कविता---

मेहँदी बोली कुमकुम का त्यौहार नहीं होता-
रक्षाबंधन के चन्दन का प्यार नहीं होता-

इसका आँगन एक दम सूना-सूना सा रहता है-
जिसके घर में बेटी का अवतार नहीं होता-

जिस धरती पर से मात्र शक्ति का मान नहीं जा सकता है-
नर के नारी से सम्मान नहीं जा सकता है-

बेटा घर में हो तो बेशक सीना ठंडा रह जाये-
बेटी घर में हो तो भूखा मेहमान नहीं जा सकता...


                (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदीकविता शायरी.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-11.10.2021-सोमवार.