"नवरात्रि" - कविता क्रमांक-11

Started by Atul Kaviraje, October 13, 2021, 01:23:01 AM

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Atul Kaviraje

                                              "नवरात्रि"
                                          कविता क्रमांक-11         
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मित्रो,

     आज दिनांक-०७.१०.२०२१-गुरुवार के पावन पर्व पर माँ का आगमन हुआ है. आईए नवरात्री के इस शुभ दिन पर देवी माँ का स्वागत करें. मराठी कविता के मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयो को इस नवरात्री के दिन की बहोत सारी हार्दिक शुभेच्छाये. आईए सूनते है, देवी की स्तुती पर कुछ कविताये ,रचनाये .

     हिन्दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। समस्त कामनाओं की पूर्ति, सुख सौभाग्य की प्राप्ति के लिए नवरात्रि में माता के नौ रूपों की आराधना की जाती है। माँ दुर्गा के समस्त रूप वरप्रदायिनी एवं शुभकारी है। माँ नवदुर्गा के नौ रूपों में प्रथम रूप है शैलपुत्री, दूसरा रूप ब्रम्हचारिणी माँ, तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा, चौथा कुष्मांडा, पाँचवा स्कन्दमाता, छठा कात्यायनी, सातवाँ कालरात्री, आंठवां महागौरी तथा नवां सिद्धिदात्री माँ का हैं।

     नवरात्रि के पावन नौ दिनों इन्हीं नौ रूपों में अवतरित होकर माँ समस्त सृष्टि वासियों को शुभाशीष प्रदान करती हैं। बस आवश्यकता है, सच्ची आस्था, भक्ति और पवित्र विचारों को मन में समाहित करके पूजन करने की। तो आइए प्रस्तुत कविता के माध्यम से माँ नवदुर्गा के नौ स्वरूपों के दर्शन करें और वरदानों की प्राप्ति करें–

NO 2--
नवदुर्गा रूप--

नवरात्रि में नवदुर्गा नौ नौ रूप दिखाती हैं।
नौ रूपों की नव महिमा को वाणी कह नहीं पाती है।।

कभी शैलपुत्री रूप में अनेक नामों से जानी जाती है।
कभी भक्तों पर कृपा कर धन धान्यपूर्ण बनाती हैं।।

ब्रम्हचारिणी देवी दूसरे रूप में जो कहलाती है।
तप, त्याग, सदाचार व संयम गुणों को देने आती हैं।।

नौ रूपों की नव महिमा को वाणी कह नहीं पाती है।।
कभी चंद्रघंटा रूप में शक्तिप्रदायक बन आती हैं।

सुख शांति आनंद से जीवन सफल कर जाती हैं।।
कुष्मांडा रूप में चौथे दिन जो पूजी जाती हैं।

सद्बुद्धि, उन्नति, वैभव के सोपान चढाती हैं।।
नौ रूपों की नव महिमा को वाणी कह नहीं पाती है।।

स्कन्दमाता रूप में पाँचवें दिन की शोभा बढ़ाती हैं।
समस्त कामनायें पूर्ण कर मानव जीवन को सवारती हैं।।

कल्याणकारी, मंगलकारी स्वरूप धारण कर आती हैं।
कात्यायनी रूप में आलौकिक तेज जो फैलाती हैं।।

नौ रूपों की नव महिमा को वाणी कह नहीं पाती है।।
शुभदायिनी रूप में कालरात्री सप्तम दिन आती हैं।

समस्त कलुष, क्लेश संकट हरण कर जाती है।।
संतति वरदान प्रदायिनी महागौरी की शुभतिथि आती है।

श्वेत वर्ण व श्वेत वस्त्र से धवल सृष्टि सज जाती है।।
नौ रूपों की नव महिमा को वाणी कह नहीं पाती है।।

नवरात्रि की नवमी तिथि की बेला जो महकाती हैं।
सिद्धिदात्री माँ सर्व सिद्धियाँ निछावर कर जाती हैं।।

श्रद्धा, भक्ति, आस्था से मन में जो सदा बसती हैं।
हर रूप में नव वरदान ले सृष्टि उसमें सवरती है।।

नौ रूपों की नव महिमा को वाणी कह नहीं पाती है।।
नवरात्रि में नवदुर्गा नौ नौ रूप दिखाती हैं।

नौ रूपों की नव महिमा को वाणी कह नहीं पाती है।।

--कवयित्री-डौ. विनिता शुक्ला
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                 (साभार एवंसौजन्य-संदर्भ-विचार और शोध .कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-13.10.2021-बुधवार.