"गौळणी-राधा-कृष्ण प्रेम-खोड्या व इतर चारोळ्या" - चारोळी-पुष्प-8

Started by Atul Kaviraje, October 19, 2021, 12:56:26 AM

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Atul Kaviraje

                        "गौळणी-राधा-कृष्ण प्रेम-खोड्या व इतर चारोळ्या"
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज ऐकुया, "गौळणी-राधा-कृष्ण प्रेम-खोड्या व इतर चारोळ्या" ,या विषया अंतर्गत चारोळी-पुष्प-8.

     श्रीकृष्णाचा   खोड्या  काढण्या  व्यतिरिक्त  आवडता  खेळ , म्हणजे  रास -लीला  म्हणजे  आताच्या  भाषेत  गरबा . तर  कान्हा  या  रास -लीलेत  इतका  प्रवीण  होता  की , सर्वांना    खेळवीत  खेळवीत  थकवायचा  पण  स्वतः  मात्र  शेवटपर्यंत  उत्साही  रहायचा . अर्थात , तो  देवाचे  एक  रूप  होता , ही  गोष्ट  अलहिदा , परंतु  हेच  सत्य  होते .गोकुळातली  इतरेजनांची , म्हणजे  गोप -गोपिका  व  इतर  जण , कान्हाची  त्यांच्यासवे  रास -लीला  सुरु  व्हायची .

     या  गरब्यात  म्हणजे  रास -लीलेत  ते  सारे  जण  इतके  रमून  जायचे , मशगूल  व्हायचे , की  त्यांना   स्वतःचे  काय  तर  आजुबाजुचेही  भान  नसायचे, इतके  ते  सारे  जण  या  खेळात  कान्हाबरोबर  समरस  व्हायचे . 

    आता  हळू  हळू  उन्हे  उतरत  चाललीत , तो  सोन्याचा  गोळा  म्हणजे  सूर्य  क्षितिजावरून  यमुनेच्या   पूर्णपात्रात  दिसेनासा  झालाय , रजनीने  हळू  हळू  रूप  दाखवायला   सुरुवात  केलीय . तरीही , कृष्णाचा  हा  गरबा  खेळ  अजुनी  रंग  धरतोय , तो  थांबण्याचे  नावही  नाही  दिसत .

     आणि  अश्या  या  देवाला  लहान  होताना  पाहून , त्याला  रास -लीलेत  रमलेला  पाहून , निशेबरोबर  आता  वेळही  जणू  थांबल्याचे  दिसत  आहे . वेळेलाही  पुढे  सरकायचे  भान  नाही . तीही  कान्हाच्या  या  जादूमयी  खेळात  भाग  घेऊन , तिथेच  थांबली  आहे .

                                      चारोळी-पुष्प-8
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(८)
गरबा खेळतोय लीलया "गोपाळ"
गोपींसमवेत रमतोय "कृष्णाचा" खेळ
उन्हे उतरली, निशा पसरली,
पाहात थांबली येथेच वेळ.


-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.10.2021-मंगळवार.