"कोजागिरी पूर्णिमा"-कविता शायरी

Started by Atul Kaviraje, October 19, 2021, 03:25:06 PM

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Atul Kaviraje

                                          "कोजागिरी पूर्णिमा"
                                             कविता शायरी
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मित्रो,

      आज दिनांक-१९.१०.२०२१-मंगलवार है. आज "कोजागिरी पूर्णिमा" है. मराठी कविताके मेरे सभी कवी-कवयित्री, भाई-बहनोको इस पावन अवसर की बहोत सारी शुभ-कामनाये. आईए जानते   है, कोजागिरी पूर्णिमा पर शेर, शायरी, कविताये, एवं शुभ-संदेश

                   शरद पूर्णिमा कविता शायरी ---

--गोपियों संग रास रचाये कृष्ण कन्हैया बंसी बजाये शरद की भीनी भीनी सी खुशबू प्रेम का नया गीत जगाये I

--चाँद सी सुंदर सजी मेरी गुडिया दीप जलाये दहलीज पर खड़ी हैं पूरी करो उसके मन की मुराद प्रिय के इंतजार में वो सजी हैं I

--खुबसूरत सा खिला हैं चाँद आसमान की रौनक बन उठा हैं चाँद पिय के नैनो में बसा हैं चाँद शरद पूर्णिमा का हैं यह चाँद I


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हे ! मन मोहना, तू बसा मेरे नैन
तू छाड़ी दीयों, मुझे न मिले चैन
तड़पाती जाये यह विरह भरी रैन 
ढूंढे तुझे हर जगह मेरे भीगे नैन I

ये चाँद इतराये कहे, तू भूल गया मुझे
हर शरद तू बस, इसके अंग सजे   
रचाये महारास तू गोपियों के संग
मैं सहती रहूँ विरह पीड़ा, हर अंग I

ढूंढत फिरू तुझे मैं तुझे जहाँ तहाँ
कहाँ छोड़ गयों मुझे इस धरा 
कर पूरी मुराद, हे कृष्ण कन्हैया
इस शरद तू बन, बस मेरा, बंसी बजैया I
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                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दीपावली.को.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.10.2021-मंगळवार.