"कोजागिरी पूर्णिमा"-शेर

Started by Atul Kaviraje, October 19, 2021, 03:28:07 PM

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Atul Kaviraje

                                       "कोजागिरी पूर्णिमा"
                                                शेर
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मित्रो,

      आज दिनांक-१९.१०.२०२१-मंगलवार है. आज "कोजागिरी पूर्णिमा" है. मराठी कविताके मेरे सभी कवी-कवयित्री, भाई-बहनोको इस पावन अवसर की बहोत सारी शुभ-कामनाये. आईए जानते   है, कोजागिरी पूर्णिमा पर शेर, शायरी, कविताये, एवं शुभ-संदेश.

        शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी और ये 10 बड़े शेर---
                                  काव्य डेस्क-----

     शरद पूर्णिमा की चांदनी की शीतलता में शायरों का इश्क़ परवान चढ़ता है।  चाँद शायरों की डायरी का वो पन्ना है जिस पर महबूबा की शक्ल-ओ-सीरत से लेकर रात की तन्हाई तक के किस्से लिखे जाते हैं। यह लेख़कों का वो पसंदीद बिम्ब है जिसकी प्रेरणा से उनकी कितनी ही नज़्में-ग़ज़लें सम्पूर्ण हो पाती हैं।

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बरगद की इक शाख़ हटा कर
जाने किस को झाँका चाँद
-- परवीन शाकिर
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....छत पर जा रहा है चाँद
सूखी जामुन के पेड़ के रस्ते
छत ही छत पर जा रहा है चाँद
-- गुलज़ार
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चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है
अक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है
-- फ़रहत एहसास
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...तेरे ग़म का चाँद
डूब चुका जब नील गगन की झील में तेरा हर वादा
चमक रहा था मेरे दिल में फिर भी तेरे ग़म का चाँद
-- क़तील शिफाई
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हाथ में चाँद जहाँ आया मुक़द्दर चमका
सब बदल जाएगा क़िस्मत का लिखा जाम उठा
-- बशीर बद्र
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कल चौदवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा
कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तिरा
-- इब्ने इंशा
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चाँद को तैरना सिखाना है
दूर के चाँद को ढूँडो न किसी आँचल में
ये उजाला नहीं आँगन में समाने वाला
-- निदा फ़ाज़ली
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रात को रोज़ डूब जाता है
चाँद को तैरना सिखाना है
-- बेदिल हैदरी
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वो चाँद कह के गया था...
वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा
तो इंतज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से मैं
-- फ़रहत एहसास
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माथे पे तेरे चमके है झूमर का पड़ा चाँद
ला बोसा चढ़े चाँद का वादा था चढ़ा चाँद
-- ज़ौक
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                        (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अमर उजाला.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.10.2021-मंगळवार.