आंदोलनकारी चारोळ्या - "घागर घे , फोडून टाक , पण आंदोलन कर ठीक -ठाक !"

Started by Atul Kaviraje, October 22, 2021, 01:26:33 AM

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Atul Kaviraje

                   विषय  : हक्कांसाठी  घागर -फोड  आंदोलन
                      वास्तव  मार्मिक  आंदोलनकारी  चारोळ्या
           "घागर  घे , फोडून  टाक , पण  आंदोलन  कर  ठीक -ठाक !"
                                     (भाग-१)       
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(1)
"घागर  घे , फोडून  टाक"
परी , "आंदोलन  कर  तू  ठीक -ठाक"
नुकसान  झाले  तरी  चालेल ,
खळ -खट्याकला  दे  तू  साथ .

(2)
कुंभारवाड्यात  आज  उत्साह  होता
"मडक्यांची"  मागणी  वाढली  होती
एरव्ही  नगण्य  गणल्या  जाणाऱ्या  कुंभारानेही ,
"आंदोलनाची"  घंटा  वाजवली  होती .

(3)
पाणवठ्यावरील  वातावरण  भीतीमय  होते
"आंदोलनकारिंची  घागरीवर"  नजर  होती
नजरेआड  करीत  नव्हत्या  बायका  "घागरी" ,
न  जाणो  केव्हा  करतील  हे  "आंदोलनकारी  घागरी'  चोरी  !

(4)
अरे  "घागर"  काय  "फोडत"  बसलास  ?
आपलेच  नुकसान  घेतोस  तू  करून  !
मागण्या  तुझ्या  मान्य  व्हायच्यात  ना  !
त्यांच्याकडे  वळव तुझी  करारी  नजर ,
   मी  नाही  त्यातला  म्हणताहेत , वर  करून  सवरून .

(5)
"आंदोलन"  शिगेला  पोचले  होते
दोन  विरोधी  गट  निर्माण  झाले  होते
हमरी -तुमरीवर  येणाऱ्या  प्रकरणाने  अवचित ,
"घागर -फोडीवर"  वळण  घेतले  होते .


-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-22.10.2021-शुक्रवार.