वास्तव चारोळ्या-"तीच तीच बातमी दिसतेय मीडियावर,नुसती भर देतेय रवंथ करण्यावर"

Started by Atul Kaviraje, November 06, 2021, 12:59:48 AM

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Atul Kaviraje

          विषय :एकचं  एक  बातमी  चिकलेटसारखी  चघळतेय  मीडिया
                              वास्तव  मीडियाचे  रूप  चारोळ्या
       "तीच तीच बातमी दिसतेय मीडियावर,नुसती भर देतेय रवंथ करण्यावर"
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(1)
मागील  महिन्यात  तीच  बातमी  ऐकली  होती
आजही  मी  तीच  बातमी  नव्या  रूपात  ऐकतोय
बहुधा  निकाल  लागेपर्यंत  गप्प  नाही  राहणार  मीडिया ,
मीडियाचा  त्याच  त्याच  बातमीचा  अजुनी  रवंथ  चालतोय .

(2)
बातमीचे  लावले  गेले  होते  केव्हातरी  इवलेसे  रोप
मीडियाने  त्यास  जोरदार  खत -पाणी  दिलंय
आज  एका  अवाढव्य  रूपात  झालंय  त्याचे  रूपांतर ,
आता  सारी  मीडिया  एकत्र  येऊन  फल-प्राप्तीसाठी  थांबलीय  ?

(3)
चघळून  चघळून  त्याच  चिकलेटचा  चक्क  चोथा  झालाय
खाणाराही , चघळणाराही  आता  त्याला  वैतागलाय
पण  हि  मीडिया  काय  हो  इतकी  चिकट , काय  म्हणावे  तिला  ?
तेच  जुने  चिकलेट  तिने  नव्या  रॅपरमध्ये  पुन्हा  सादर  केलंय  !

(4)
दिवस  नाही , रात्र  नाही , दुपार  नाही , संध्याकाळ  नाही
एकचं  बातमी  प्रसारित  करतेय  मीडिया , चॅनेलवरून
हे  पत्रकार  थकत  कसे  नाहीत , त्यांना  कंटाळा  येत  नाहीय  ?
तीच -तीच  बातमी  नवीन  मसाला  भरून  पुनर -सादर  करून  ?

(5)
आज  तोच  पत्रकार  चक्क  म्हातारा  झालाय
अन  त्या  बातमीनेही  शंभरी  गाठलीय
माझ्या  नातवाच्या  न  संपणाऱ्या  प्रश्नांवर ,
मी  इतिहासाची  पाने  पुन्हा -पुन्हा  चाळतोय
जन्म  गेलाय , पण  बातमी  अजुनी  जिवंत  आहे ,
त्या  बातमीने  आज  जणू  पुनर-जन्मच  घेतला  आहे  !


-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.11.2021-शनिवार.