खड्डा आंदोलन चारोळ्या-"देव देवळात दिसत नव्हता,आज तो खड्ड्यात प्रकट झाला होता"

Started by Atul Kaviraje, November 17, 2021, 12:56:56 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

           विषय :नंदुरबार  येथे  खड्ड्याचे  पूजन  करून  आंदोलन
               वास्तव  मार्मिक  रास्ता  खड्डा  आंदोलन  चारोळ्या
   "देव  देवळात  दिसत  नव्हता , आज  तो  खड्ड्यात  प्रकट  झाला  होता "
-----------------------------------------------------------------
               

(1)
गुरुजी  "खड्ड्यात"  बसून  सत्य -नारायणाची  पूजा  सांगत  होते
सर्व  भाविक  रस्त्याच्या  दोन्ही  बाजूस  हात  जोडून  उभे  होते
सारा  रस्ता  भक्तांनी  दुतर्फा  फुलून  गेला  होता ,
मधोमध  तो  "खड्डा -देव" , त्यांना  तथास्तु  म्हणत  होता .

(2)
काय  अजब  शक्कल  निघेल  या  मानवाच्या  मेंदूतून  ?
काल  कुणी  या  "खड्ड्याचा"  वाढ -दिवस  साजरा  करत  होता
परवा  कुणी  या  "खड्ड्याबरोबर"  सेल्फी  घेत  होता
आज  या  "खड्ड्यांचे"  चक्क  पूजन  चालले  होते ,
     रस्ता  "खड्डा  आंदोलनाला"  आता  वेगळे  वळण  लागले  होते  ?

(3)
आज  सारे  देऊळ , देव -सभामंडप  पूर्ण  रिकामा  होता
देवळातला  देव  हे  पाहून  आश्चर्य  व्यक्त  करत  होता
अधिक  चौकशी  करता  त्याला  अंतर्ज्ञानाने  कळले  होते ,
आज  त्याची  जागा  हा  विशाल  रस्ता -"खड्डा"  घेऊ  पहात  होता .

(4)
आता  "खड्ड्यास"  देवालयाचे  स्वरूप  येऊ  लागले  होते
भजन -पूजन , मंत्र -पठणात  भक्त -गण रंगून -दंगून  गेले  होते
रस्त्यावरली  सारी  वाहने  हळू -हळू  इतिहासात  जमा  होत  होती ,
पुन्हा  एकदा , चाकाचा  शोध  लावण्याची  पाळी  आली  होती .

(5)
तो  चंद्रही  आभाळातून  तिरस्काराने  पृथ्वीवरल्या  "खड्ड्यांकडे"  पाहात  होता
त्याच्यावरल्या  "खड्ड्यांचे"  तेज  पाहता -पाहता  विरून  जात  होते
केव्हातरी  सणा -सुदीस  चंद्र -देवाचा  नमस्कार -चमत्कार  होत  होता ,
आज पृथ्वीवरील  "खड्डा -देवाने" , त्याचा  तो  हक्क कायमचाच हिरावून  घेतला होता .

(6)
आज  रस्त्यावरून  कुणीही  चालत  नव्हते , धावत  नव्हते , पळत  नव्हते
पुनीत ,पावन  असा  "खड्डा -देव"  तिथे  विराजमान  झाला  होता
भोळ्या -भाबड्या  जनतेने  त्यास  पुजून -भजून  त्याचा ,
तेहेत्तीस  कोटी  देवांत  प्रथम  क्रमांक  लावला  होता .


-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-17.11.2021-बुधवार.