"गुरु नानक जयंती"-कविता क्रमांक-4

Started by Atul Kaviraje, November 19, 2021, 05:26:58 PM

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Atul Kaviraje

                                            "गुरु नानक जयंती"
                                             कविता क्रमांक-4
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मित्रो,

     आज दिनांक-१९.११.२०२१-शुक्रवार है. आज शीख संप्रदाय के प्रथम धर्मगुरू, श्री नानक देव जी की जयंती है. मराठी कविताके मेरे सभी शीख भाई-बहन,कवी-कवयित्रीयोको मेरी अनेको हार्दिक शुभेच्छाये.  आईए इस जयंती पर्व पर पढते है , गुरु नानक जी पर रची हुई कुछ कविताये, रचनाये.

                 जो नर दुख में दुख नहिं मानै / नानकदेव---

जो नर दुख में दुख नहिं मानै।
सुख सनेह अरु भय नहिं जाके, कंचन माटी जानै।।
नहिं निंदा नहिं अस्तुति जाके, लोभ-मोह अभिमाना।
हरष शोक तें रहै नियारो, नाहिं मान-अपमाना।।
आसा मनसा सकल त्यागि के, जग तें रहै निरासा।
काम, क्रोध जेहि परसे नाहीं, तेहि घट ब्रह्म निवासा।।
गुरु किरपा जेहि नर पै कीन्हीं, तिन्ह यह जुगुति पिछानी।
नानक लीन भयो गोबिंद सों, ज्यों पानी सों पानी।।


                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-कविताकोश.ऑर्ग)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.11.2021-शुक्रवार.