सुकूँ जिंदगी का ..........

Started by SHASHIKANT SHANDILE, December 30, 2021, 11:02:48 AM

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SHASHIKANT SHANDILE

हकीकत छुपाकर बता झूठ बैठी
शहद में जहर का पिला घूंट बैठी

जिधर ले गई हम उधर जा रहा थे
मगर जिंदगी आपही रूठ बैठी

सफर मैं चला जो अधूरा रहा क्यो
न जाने के मंजिल कहा छूट बैठी

मुहब्बत वफ़ाएँ कहाँ रास आई
भरोसें की कड़िया सभी टूट बैठी

सुकूँ जिंदगी का है 'एकांत' में ही
हमे बेरहम भीड़ ये लूट बैठी
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शशिकांत शांडिले (एकांत), नागपुर
मो.९९७५९९५४५०
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