नव वर्ष 2022 की मँगल कामनाएँ-लेख

Started by Atul Kaviraje, January 01, 2022, 01:23:12 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                              नव वर्ष 2022 की मँगल कामनाएँ
                                             लेख
                            --------------------------------

मित्रो,

     दिनांक-३१.१२.२०२१-शुक्रवार,गत-वर्ष को हम बाई बाई करेंगे, और दिनांक-०१.०१.२०२२-दिनांक-शनिवार, नवं-वर्षका मनसे स्वागत करेंगे. इस नवं-वर्ष(२०२२), मे हमे हम करनेवाले  महत्त्वपूर्ण कामोकी सूची बनायेंगे, और इस वर्ष-आखिर से पहिले ही उसे पुरा करने  का संकल्प करेंगे. मराठी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्री को इस नवं-वर्ष(२०२२), के उपलक्ष मे मेरी ओर से बहोत सारी हार्दिक शुभ-कामनाये, सदिच्छाये. आईए पढते है, नवं-वर्ष के कुछ लेख, निबंध एवं शुभ-कामनाये.

                        HAPPY NEW YEAR 2022---

Happy New Year 2022: 1 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं नया साल? जानें इसके पीछे का पूरा इतिहास

Happy New Year 2022: साल 2021 खत्म होने के साथ ही नए साल 2022 के शानदार आगाज का काउंट डाउन शुरू हो चुका है. नए साल से ढेर सारी खुशियों की उम्मीद है. आइये आपको बताते हैं नया साल 1 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है.

       एक जनवरी पर नया साल क्यों कब शुरू हुई परंपरा किसने बनाया कैलेंडर---

     कुछ दिनों में हम नए साल 2022 में प्रवेश कर जाएंगे. आज से 10 दिन बाद 2021 को अलविदा कहते हुए पूरी दुनिया नए साल 2022 का खुले दिल से स्वागत करेगी. सभी की यही चाहत होगी कि नया साल खुशियां लेकर आए. साथ ही लोगों की यह मनोकामना जरूर होगी कि कोरोना महामारी का 2022 में अंत हो जाए. पूरी दुनिया 31 दिसंबर को मध्यरात्रि 12 बजे के बाद पुराने साल को अलविदा करते हुए नए साल का स्वागत करती है. अब यहां पर यह जान लेना भी जरूरी है कि हम हर साल जनवरी में ही नया साल क्यों मनाते हैं. आइये आपको बताते हैं इसके पीछे का इतिहास...

                     1 जनवरी को नहीं मनाते थे नया साल---

     आपको बता दें कि सदियों तक नया साल 1 जनवरी को नहीं मनाया जाता था. यह कभी 25 मार्च तो कभी 25 दिसंबर को मनाया जाता था. सबसे पहले रोम के राजा नूमा पोंपिलस ने रोमन कैलेंडर में बदलाव किए थे. कैलेंडर में जनवरी को पहला माना गया. इस बदलाव से पहले तक मार्च को पहला महीना माना जाता था.

                       जनवरी महीने का नाम कैसे पड़ा ?---

     अब आपको बताते हैं जनवरी महीने का नाम कैसे पड़ा. जनवरी का नाम जानूस (Janus) पर रखा गया है. जानूस को रोम में शुरुआत का देवता माना जाता है.

                        मार्च के नाम के पीछे का इतिहास---

     मार्च का नाम मार्स (mars) पर पड़ा है. मार्स को युद्ध का देवता माना गया है. सबसे पहले इजाद हुए कैलेंडर में सिर्फ 10 महीने ही होते थे. वहीं, एक साल में 310 दिन होते थे, सप्ताह भी 8 दिनों का होता था.

                            310 की जगह 365 दिन---

     रोमन कैलेंडर में रोम के अगले शासक जूलियस सीजर ने कुछ बदलाव किए. उन्होंने 1 जनवरी से नए साल की शुरुआत की. जूलियस कैलेंडर में साल में 12 महीने किए गए. जूलियस सीजर ने खगोलविदों से मुलाकात के बाद जाना कि पृथ्वी 365 दिन और छह घंटे में सूर्य की परिक्रमा लगाती है. इसे ध्यान में रखते हुए जूलियन कैलेंडर में साल में 310 की जगह 365 दिन किया गया.

                       लीप ईयर कैसे और किसने बनाया---

     वहीं बचे हुए 6 घंटे को लीप ईयर का कॉन्सेप्ट दिया गया. हर 4 साल में यह 6 घंटे मिलकर 24 घंटे हो जाते हैं, यानी एक दिन. इसे देखते हुए हर चौथे साल फरवरी को 29 दिन का किया गया और इस साल को लीप ईयर का नाम दिया गया.

                              ग्रेगोरियन कैलेंडर---

     पोप ग्रेगरी ने 1582 में जूलियन कैलेंडर में लीप इयर को लेकर त्रुटि निकाली. सेंट बीड नाम के धर्म गुरु ने उस वक्त बताया कि एक साल में 365 दिन और 6 घंटे न होकर 365 दिन 5 घंटे और 46 सेकंड होते हैं. रोमन कैलेंडर में बदलाव करते हुए नया कैलेंडर पेश किया गया. तब से 1 जनवरी को नए साल की मनाया जाने लगा.

                               भारत में नया साल---

     भारत में नया साल अलग-अलग जगह स्थानीय रिवाज के हिसाब से भी मनाया जाता है. नए साल की ज्यादातर तिथियां मार्च या अप्रैल के महीने में पड़ती हैं. पंजाब में नया साल बैसाखी के रूप में 13 अप्रैल को मनाया जाता है. सिख धर्म को मानने वाले इसे नानकशाही कैलेंडर के अनुसार मार्च में होली के दूसरे दिन मनाते हैं. जैन धर्म के लोग नए साल को दिवाली के अगले दिन मनाते हैं. यह भगवान महावीर स्वामी की मोक्ष प्राप्ति के अगले दिन से शुरू होता है.

--झी न्यूज डेस्क
---------------


                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-झी न्यूज.इंडिया.कॉम)
                     -------------------------------------------


-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-01.01.2022-शनिवार.