नव वर्ष 2022-नए वर्ष की हार्दिक बधाई-कविता क्रमांक-6

Started by Atul Kaviraje, January 01, 2022, 02:19:19 AM

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Atul Kaviraje

                                           नव वर्ष 2022
                                      नए वर्ष की हार्दिक बधाई
                                           कविता क्रमांक-6
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मित्रो,

     दिनांक-३१.१२.२०२१-शुक्रवार,गत-वर्ष को हम बाई बाई करेंगे, और दिनांक-०१.०१.२०२२-दिनांक-शनिवार, नवं-वर्षका मनसे स्वागत करेंगे. इस नवं-वर्ष(२०२२), मे हमे हम करनेवाले  महत्त्वपूर्ण कामोकी सूची बनायेंगे, और इस वर्ष-आखिर से पहिले ही उसे पुरा करने  का संकल्प करेंगे. मराठी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्री को इस नवं-वर्ष(२०२२), के उपलक्ष मे मेरी ओर से बहोत सारी हार्दिक शुभ-कामनाये, सदिच्छाये. आईए पढते है, नवं-वर्ष की कविताये.

                      प्रसिद्ध कवियों की कविताएँ---

                      नव वर्ष पर कविता-2022---

     हमारे जीवन में नया साल एक नई उम्मीद लेकर आता है, जो बीती हुई मुश्किलों को भुलाने के लिए कारगर साबित होता है। जब भी नया साल आता है, तो हम खुशी के साथ उसका स्वागत करते हैं और अपने चाहने वालों से हंसी खुशी नए साल को व्यतीत करने की बातें किया करते हैं।

     जब भी नया साल आता है, तो कई प्रकार की ऐसी कविताएं आती है, जो हमारे जहन में घूमती रहती हैं और हम भी उनके बारे में विस्तार से सोचते हैं। नया साल का पहला दिन हम सब हंसी खुशी बिताना चाहते हैं क्योंकि हमें ऐसा लगता है कि नया दिन, नई उम्मीदें और नई खुशियां लेकर आएगा।

     ऐसे में नए साल में लिखी गई कविताएं भी हमारे अंदर एक नई आशा देकर आएगी जिससे हम नए साल में भी अच्छा कार्य कर सकेंगे। इसके अलावा नए साल में लिखित कविताओं को हमेशा पढ़ते रहना चाहिए ताकि  नई नई आशाओं को आगे बढ़ाने का कार्य किया जा सके।

     कविताओं के माध्यम से जाहिर किया जा सकता है कि आने वाले नए साल को हम किस प्रकार से मनाना चाहते हैं और कैसी खुशियां अपने जीवन में चाहते हैं? नए साल की कविताओं से हम काफी सीख ले सकते हैं, जो कहीं ना कहीं हमारे लिए लाभप्रद होगी।

गए साल की
गये साल क़ी
ठिठक़ी ठिठक़ी ठिठुरन
नये साल कें
नये सूर्य ने तोडी।

देश-क़ाल पर,
धुप-चढ गयी,
हवा गर्म हो फ़ैली,
पौरुष के पेड़ो के पत्तें
चेतन चमकें।

दर्पंण-देहीं
दशो दिशाये
रंग-रूप क़ी
दुनियां बिम्बित करती,
मानव-मन मे
ज्योंति-तरगें उठती।

- केदारनाथ अग्रवाल
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                         (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-पोएम इन हिंदी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-01.01.2022-शनिवार.