II मकर-संक्रांति II-लेख क्रमांक-१

Started by Atul Kaviraje, January 14, 2022, 01:48:27 AM

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Atul Kaviraje

                                      II मकर-संक्रांति II
                                          लेख क्रमांक-१
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मित्रो,

     आज दिनांक-१४.०१.२०२२-शुक्रवार है. मकर संक्रान्तिका पुण्य -पावन-त्योहार-पर्व लेकर यह शुक्रवार आया है. बाहर ठंड है. तील-गुड के लड्डू खाकर शरीर में ऊब-गर्मी-स्नेह निर्माण हो रही है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन,कवी-कवयित्रीयोको मकर संक्रांतिकी बहोत सारी हार्दिक शुभेच्छाये. "तिल-गुड के लड्डू खाइये, मिठी मिठी बात बोलिये". आईए, इस पावन पर्व पर पढते है, मकर संक्रांतीपर विशेष लेख,महत्त्व,पूजा-विधी,कथा-कहानी,निबंध,शुभेच्छाये,सदिच्छाये,शुभकामनाये एवं अन्य जानकारी  .

     "Makar Sankranti 2022: 14 जनवरी, शुक्रवार को मकर संक्रांति है। इस दिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है। 14 जनवरी को सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश दोपहर 02 बजकर 29 मिनट पर होना है। ... इसके साथ ही इस दिन ब्रह्म योग और आनंदादि योग का निर्माण हो रहा है जो कि भी अनंत फलदायी माना जाता है।"

     क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति? जानें इसके पीछे का धार्मिक और खगोलीय तथ्य
(मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिषविद्, चंडीगढ़)---

मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में लगभग एक माह के लिए आते हैं। इस बार मकर संक्रांति की शुरूआत रोहणी नक्षत्र में हो रही है।

     14 जनवरी, शुक्रवार को मकर संक्रांति है। इस दिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है। 14 जनवरी को सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश दोपहर 02 बजकर 29 मिनट पर होना है। मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में लगभग एक माह के लिए आते हैं। इस बार मकर संक्रांति की शुरूआत रोहणी नक्षत्र में हो रही है। जो कि शाम को 08 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इस नक्षत्र को शुभ नक्षत्र माना जाता है। इस नक्षत्र में स्नान दान और पूजन करना शुभफलदायी होता है। इसके साथ ही इस दिन ब्रह्म योग और आनंदादि योग का निर्माण हो रहा है जो कि भी अनंत फलदायी माना जाता है।

     मकर संक्रांति के दिन से शुभ कार्यों जैसे विवाह मुंडन, विवाह, गृह प्रवेश जैसे कार्य आरंभ हो जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति से ही देवता का दिन 6 माह के लिए प्रारंभ हो जाता है। सूर्य के उत्तरायण की अवस्था को देवताओं का दिन कहा जाता है। मकर संक्रांति को सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। इस नदी पवित्र नदियों में स्नान करने और उसके बाद दान करने का महत्व होता है। साल में 12 संक्रांतियां पड़ती हैं, लेकिन इनमें से मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ उत्तरायण होना शुरू हो जाता है। इसलिए ही इस दिन को उत्तरायण भी कहते हैं। इस दिन से देश में दिन बड़े और रातें छोटी हो जाती हैं। शीत ऋतु का प्रभाव कम होने लगता है।

                     मकर संक्राति का खगोलीय तथ्य---

     नवग्रहों में सूर्य ही एकमात्र ग्रह है जिसके आस पास सभी ग्रह घूमते हैं। यही प्रकाश देने वाला पुंज है जो धरती के अलावा अन्य ग्रहों पर भी जीवन प्रदान करता है। प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है जिसे सामान्य भाषा में मकर संक्रान्ति कहते हैं। यह पर्व दक्षिणायन के समाप्त होने और उत्तरायण प्रारंभ होने  पर मनाया जाता है। वर्ष में 12 संक्रांतियां आती है। परंतु विशिष्ट कारणों से इसे ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना गया है। यह एक खगोलीय घटना है जब सूर्य हर वर्ष धनु से मकर राशि में प्रवेश करता है और हर बार यह समय लगभग 20 मिनट बढ़ जाता है। अतः 72 साल बाद एक दिन का अंतर पड़ जाता है। पंद्रहवीं शताब्दी के आसपास यह संक्राति 10 जनवरी के आसपास पड़ती थी और अब यह 14 व 15 जनवरी को होने लगी है। लगभग 150 साल के बाद 14 जनवरी की डेट आगे पीछे हो जाती है। सन् 1863 में मकर संक्राति 12 जनवरी को पड़ी थी। 2012 में सूर्य मकर राशि में 15 जनवरी को आया था। 2018 में 14 जनवरी और 2019 तथा 2020 में यह 15 जनवरी को पड़ी थी। गणना यह है कि 5000 साल बाद मकर संक्राति फरवरी के अंतिम सप्ताह में मनानी पड़ेगी।

--विनोद शुक्ला
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अमरूजाला.कॉम
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.01.2022-शुक्रवार.