II मकर-संक्रांति II-लेख क्रमांक-2

Started by Atul Kaviraje, January 14, 2022, 01:50:17 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                        II मकर-संक्रांति II
                                           लेख क्रमांक-2
                                       -------------------

मित्रो,

     आज दिनांक-१४.०१.२०२२-शुक्रवार है. मकर संक्रान्तिका पुण्य -पावन-त्योहार-पर्व लेकर यह शुक्रवार आया है. बाहर ठंड है. तील-गुड के लड्डू खाकर शरीर में ऊब-गर्मी-स्नेह निर्माण हो रही है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन,कवी-कवयित्रीयोको मकर संक्रांतिकी बहोत सारी हार्दिक शुभेच्छाये. "तिल-गुड के लड्डू खाइये, मिठी मिठी बात बोलिये". आईए, इस पावन पर्व पर पढते है, मकर संक्रांतीपर विशेष लेख,महत्त्व, पूजा विधी,कथा-कहानी,निबंध,शुभेच्छाये,सदिच्छाये,शुभकामनाये एवं अन्य जानकारी  .
     
       मकर संक्रांति का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? 2022 महत्व, पूजा विधि...

     भारत देश में हर साल 2000 से अधिक त्यौहार मनाये जाते है. इन सभी त्योहारों के पीछे महज सिर्फ परंपरा या रूढि बातें नहीं होती है, हर एक त्यौहार के पीछे छुपी होती है ज्ञान, विज्ञान, कुदरत, स्वास्थ्य और आयुर्वेद से जुड़ी तमाम बातें. हर साल 14 या 15 जनवरी को हिन्दूओं द्वारा मनाये जाने वाला त्यौहार मकर संक्रांति को ही लें, तो यह पौष मास में सूर्य से मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है. वैसे तो संक्राति साल में 12 बार हर राशि में आती है, लेकिन मकर और कर्क राशि में इसके प्रवेश पर विशेष महत्व है. जिसके साथ बढती गति के चलते मकर में सूर्य के प्रवेश से दिन बड़ा तो रात छोटी हो जाती है. जबकि कर्क में सूर्य के प्रवेश से रात बड़ी और दिन छोटा हो जाता है.
   
                     मकर संक्रांति की कथा व कहानी---

     हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस विशेष दिन पर भगवान् सूर्य अपने पुत्र भगवान् शनि के पास जाते है, उस समय भगवान् शनि मकर राशि का प्रतिनिधित्व कर रहे होते है. पिता और पुत्र के बीच स्वस्थ सम्बन्धों को मनाने के लिए, मतभेदों के बावजूद, मकर संक्रांति को महत्व दिया गया. ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन पर जब कोई पिता अपने पुत्र से मिलने जाते है, तो उनके संघर्ष हल हो जाते हैं और सकारात्मकता खुशी और समृधि के साथ साझा हो जाती है. इसके अलावा इस विशेष दिन की एक कथा और है, जो भीष्म पितामह के जीवन  से जुडी हुई है, जिन्हें यह वरदान मिला था, कि उन्हें अपनी इच्छा से मृत्यु प्राप्त होगी. जब वे बाणों की सज्जा पर लेटे हुए थे, तब वे उत्तरायण के दिन की प्रतीक्षा कर रहे थे और उन्होंने इस दिन अपनी आँखें बंद की और इस तरह उन्हें इस विशेष दिन पर मोक्ष की प्राप्ति हुई. शनि देव जयंती मंत्र व चालीसा यहाँ पढ़ें.   

             मकर संक्रांति का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, महत्व---

     मकर संक्रांति किसानों के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण होती है, इसी दिन सभी किसान अपनी फसल काटते है. मकर संक्रांति भारत का सिर्फ एक ऐसा त्यौहार है जो हर साल 14 या 15 जनवरी को ही मनाया जाता है. यह वह दिन होता है जब सूर्य उत्तर की ओर बढ़ता है. हिन्दूओं के लिए सूर्य एक रोशनी, ताकत और ज्ञान का प्रतीक होता है. मकर संक्रांति त्यौहार सभी को अँधेरे से रोशनी की तरफ बढ़ने की प्रेरणा देता है. एक नए तरीके से काम शुरू करने का प्रतीक है. मकर संक्रांति के दिन, सूर्योदय से सूर्यास्त तक पर्यावरण अधिक चैतन्य रहता है, यानि पर्यावरण में दिव्य जागरूकता होती है, इसलिए जो लोग आध्यात्मिक अभ्यास कर रहे है, वे इस चैतन्य का लाभ उठा सकते है.


--कर्णिका
----------
 
                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दीपावली.को.इन)
                     ----------------------------------------


-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.01.2022-शुक्रवार.