II मकर-संक्रांति II-कविता क्रमांक-3

Started by Atul Kaviraje, January 14, 2022, 11:29:48 PM

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Atul Kaviraje

                                       II मकर-संक्रांति II
                                         कविता क्रमांक-3
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मित्रो,

     आज दिनांक-१४.०१.२०२२-शुक्रवार है. मकर संक्रान्तिका पुण्य -पावन-त्योहार-पर्व लेकर यह शुक्रवार आया है. बाहर ठंड है. तील-गुड के लड्डू खाकर शरीर में ऊब-गर्मी-स्नेह निर्माण हो रही है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन,कवी-कवयित्रीयोको मकर संक्रांतिकी बहोत सारी हार्दिक शुभेच्छाये. आईए, मकर संक्रांतीके  इस पावन पर्व पर पढते है, कुछ रचनाये, कविताये.

                        मकर संक्रांति कविता


आओ हम सब मकर संक्रांति मनाये
तिल की लड्डू सब मिलकर खाये।
घर में हम सब खुशियाँ फैलाये
पतंगे हम खूब उड़ाये।
सब मिलकर हम नाचे गाये
मौज मस्ती खूब उड़ाये।
आओ हम सब मकर संक्रांति मनाये
तिल की लड्डू सब मिलकर खाये।
गली मोहल्ले मे बांटे सारे।
सब मिलकर कर खाये प्यारे
गंगा में डूबकी लगाये।
शरीर अपना स्वस्थ बनाये।
आओ हम सब मकर संक्रांति मनाये
तिल की लड्डू सब मिलकर खाये।।


--राहुल सिंग तन्वर
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                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-द सिम्पल हेल्प.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.01.2022-शुक्रवार.