II मकर-संक्रांति II-कविता क्रमांक-16

Started by Atul Kaviraje, January 14, 2022, 11:53:51 PM

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Atul Kaviraje

                                       II मकर-संक्रांति II
                                        कविता क्रमांक-16
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मित्रो,

     आज दिनांक-१४.०१.२०२२-शुक्रवार है. मकर संक्रान्तिका पुण्य -पावन-त्योहार-पर्व लेकर यह शुक्रवार आया है. बाहर ठंड है. तील-गुड के लड्डू खाकर शरीर में ऊब-गर्मी-स्नेह निर्माण हो रही है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन,कवी-कवयित्रीयोको मकर संक्रांतिकी बहोत सारी हार्दिक शुभेच्छाये. आईए, मकर संक्रांतीके  इस पावन पर्व पर पढते है, कुछ रचनाये, कविताये.

                  मकर संक्रांति पर कविता


तन में मस्ती मन में उमंग
देकर सबको अपनापन गुड में जैसे मीठापन
होकर साथ हम उड़ायें पतंग
और भर ले आकाश में अपने रंग

मीठे गुड में मिल गये तिल
उडी पतंग और खिल गये दिल
हर दिन सुख और हर पल शांति
मुबारक हो आपको ये मकरसंक्रांति

तन में मस्ती
मन में उमंग
चलो सारे एक
संग आज उड़ायें
आकाश में पतंग
उछाले हवा में संक्रांति के रंग |

सूरज की राशि बदलेगी
बहुतों की किस्मत बदलेगी
यह साल का पहला पर्व होगा
जब हम सब मिलकर खुशियाँ मनायेगें अपार

सर्दी की इस सुबह पड़ेगा हमे नहाना
मकरसक्रांति का पर्व कर देगा मोसम सुहाना
दिन भर पतंग हमें है उड़ाना
कहीं गुड कही तिल के लड्डू मिल कर हमें है खाना

बेसन की रोटी निम्बू का आचार
दोस्तों की खुसी
अपनों का प्यार
सावन की बरसात
किसी का इंतजार
मुबारक हो आपको


           (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-xn--11ba5f4a5ecc.xn--h2brj9c)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.01.2022-शुक्रवार.