II मकर-संक्रांति II-कविता क्रमांक-21

Started by Atul Kaviraje, January 15, 2022, 04:49:18 PM

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Atul Kaviraje

                                       II मकर-संक्रांति II
                                        कविता क्रमांक-21
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मित्रो,

     कल  दिनांक-१४.०१.२०२२-शुक्रवार था. मकर संक्रान्तिका पुण्य -पावन-त्योहार-पर्व लेकर यह शुक्रवार आया है. बाहर ठंड है. तील-गुड के लड्डू खाकर शरीर में ऊब-गर्मी-स्नेह निर्माण हो रही है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन,कवी-कवयित्रीयोको मकर संक्रांतिकी बहोत सारी हार्दिक शुभेच्छाये. आईए, मकर संक्रांतीके  इस पावन पर्व पर पढते है, कुछ रचनाये, कविताये.

                       मकर संक्रांति पर कविता


ऐसी एक पतंग बनाएँ
जो हमको भी सैर कराए

कितना अच्छा लगे अगर
उड़े पतंग हमें लेकर

पेड़ों से ऊपर पहुँचे
धरती से अंबर पहुँचे

इस छत से उस छत जाएँ
आसमान में लहराएँ

खाती जाए हिचकोले
उड़न खटोले सी डोले

डोर थामकर डटे रहें
साथ मित्र के सटे रहें

विजय पताका फहराएँ
हम भी सैर कर आएँ


--चंद्रकला गंगवाल
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                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अजबगजब.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-15.01.2022-शनिवार.