II मराठी नाटकातले पद II-"वद जाऊ कुणाला शरण करी जो हरण संकटाचे"

Started by Atul Kaviraje, January 22, 2022, 06:22:30 PM

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Atul Kaviraje

                                    II मराठी नाटकातले पद II
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज ऐकुया, एक मराठी नाटकातले पद . या गाण्याचे बोल आहेत- "वद जाऊ कुणाला शरण करी जो हरण संकटाचे"


                        "वद जाऊ कुणाला शरण करी जो हरण संकटाचे"
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वद जाऊ कुणाला शरण करी जो हरण संकटाचे ।
मी धरिन चरण त्याचे । अगं सखये ॥धृ.॥

बहु आप्त बंधु बांधवां प्रार्थिले कथुनि दुख: मनिंचे ।
तें होय विफल साचें । अगं सखये ॥१॥

मम तात जननी मात्र तीं बघुनी कष्टती हाक ईचे ।
न चलेचि कांहिं त्यांचें । अगं सखये ॥२॥

जे कर जोडुनी मजपुढें नाचले थवे यादवांचे
प्रतिकूल होति साचे । अगं सखये ॥३॥

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गीतकार : अण्णासाहेब किर्लोस्कर
संगीतकार : अण्णासाहेब किर्लोस्कर
गायक : बालगंधर्व
नाटक : संगीत सौभद्र (१८८२)
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--संकलक-मिलिंद दिवेकर
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                (साभार आणि सौजन्य-संदर्भ-चित्रपटगीत.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-22.01.2022-शनिवार.