II गणतंत्र दिवस II-कविता क्रमांक-32

Started by Atul Kaviraje, January 27, 2022, 01:11:28 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                         II गणतंत्र दिवस II
                                          कविता क्रमांक-32
                                        -------------------

मित्रो,

       कल बुधवार, दिनांक-२६ जानेवारी, २०२२ था .  इसी दिन, 26 जनवरी 1950 को भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था. 26 जनवरी को मनाए जाने वाले गणतंत्र दिवस को 'स्वतंत्रता दिवस' के रूप में मनाया जाता है. मराठी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको प्रजासत्ताक (गणतंत्र) दिवस की हार्दिक शुभकामनाये. आईए पढते है, गणतंत्र दिवस पर कविताए.

#6.जब सूरज संग हो जाए अंधियारों के साथ
तब दीये का टिमटिमाना जरूरी है।
जब प्यार की बोली लगने लगे बाजार में
तब प्रेमी का प्रेम को बचाना जरूरी है।

जब देश को खतरा हो गद्दारों से
तो गद्दारों को धरती से मिटाना जरूरी है।
जब गुमराह हो रहा हो युवा देश का
तो उसे सही राह दिखाना जरूरी है।

जब हर ओर फैल गई हो निराशा देश में
तो क्रांति का बिगुल बजाना जरूरी है।
जब नारी खुद को असहाय पाए
तो उसे लक्ष्मीबाई बनाना जरूरी है।

जब नेताओं के हाथ में सुरक्षित न रहे देश
तो फिर सुभाष का आना जरूरी है।
जब सीधे तरीकों से देश न बदले
तब विद्रोह जरूरी है।


--नरेंद्र  सिंग
------------

                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी-बायो-ग्राफी.कॉम)
                   ---------------------------------------------


-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-27.01.2022-गुरुवार.