II गणतंत्र दिवस II-कविता क्रमांक-38

Started by Atul Kaviraje, January 27, 2022, 01:42:16 AM

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Atul Kaviraje

                                          II गणतंत्र दिवस II
                                           कविता क्रमांक-38
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मित्रो,

       कल बुधवार, दिनांक-२६ जानेवारी, २०२२ था .  इसी दिन, 26 जनवरी 1950 को भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था. 26 जनवरी को मनाए जाने वाले गणतंत्र दिवस को 'स्वतंत्रता दिवस' के रूप में मनाया जाता है. मराठी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको प्रजासत्ताक (गणतंत्र) दिवस की हार्दिक शुभकामनाये. आईए पढते है, गणतंत्र दिवस पर कविताए.

#13.नील गगन में बड़ी शान से, आज तिरंगा फहराया
भारत का गणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया!

पराधीन भारत माता ने, जाग के ली अंगडाई थी
वीरों की टोली की टोली , शीश चढाने आयी थी
आज़ादी की जंग चली जब, देख फिरंगी घबराया
भारत का गणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया !

हाथ तिरंगा तान के सीना, बढ़ते थे जब बलिदानी
भारत माँ की आज़ादी को, जान की भी दी कुर्वानी
आज़ादी के मतवालों ने, इसे देश में लहराया
भारत का गणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया!

शत शत नमन है उन वीरों को, आज़ादी थी दिलवाई
फांसी के फंदे पर झूले, सीने पर गोली खाई
कितने अत्याचार सहे थे, जेलों में जब ठूसवाया
भारत का गणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया!

जाति धर्म का भेद न, सबको समता का अधिकार है
मौके सबको मिले बराबर, कोई नहीं लाचार है
अनुपम सविधान है अपना, जिसको हमने अपनाया
भारत का गणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया !

वोट डालकर सभी बनाते, भारत की सरकार यहाँ
जनता है सर्वोच्च यहाँ पर, नेता चौकीदार यहाँ
जब जनता ने चाहा, सत्ता में बदलाव सहज आया
भारत का गंणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया!


--नरेंद्र  सिंग
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी-बायो-ग्राफी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-27.01.2022-गुरुवार.