II माघ गणेश जयंती II-लेख क्रमांक-5

Started by Atul Kaviraje, February 04, 2022, 12:30:08 AM

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Atul Kaviraje

                                       II माघ गणेश जयंती II
                                            लेख क्रमांक-5
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मित्रो,

     आज शुक्रवार,०४ फरवरी ,२०२२. माघ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को गणेश जयंती के नाम से जाना जाता है. मराठी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको माघी गणेश जयंती की बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईए, श्री गणेश जी का पूजन नमन करते है, और पढते है, माघी गणेश जयंती पर लेख, महत्त्व, पूजा विधी, कथा, शुभेच्छाये, कविता एवं अन्य जानकारी.

                 माघ मास गणेश चतुर्थी व्रत पूजन विधि---

     माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट का व्रत किया जाता है। इस दिन संकट हरण गणपति का पूजन होता है। इस दिन विद्या, बुद्धि, वारिधि गणेश तथा चंद्रमा की पूजा की जाती है। भालचंद्र गणेश की पूजा सकट चौथ को की जाती है। प्रात:काल नित्य क्रम से निवृत होकर षोड्शोपचार विधि से गणेश जी की पूजा करें।

          अब निम्न श्लोक पढ़कर गणेश जी की वंदना करें---

गजाननं भूत गणादि सेवितं,कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥

     इसके बाद भालचंद्र गणेश का ध्यान करके पुष्प अर्पित करें।
पूरे दिन मन ही मन श्री गणेश जी के नाम का जप करें । सुर्यास्त के बाद स्नान कर के स्वच्छ वस्त्र पहन लें । अब विधिपूर्वक (अपने घरेलु परम्परा के अनुसार ) गणेश जी का पूजन करें । एक कलश में जल भर कर रखें । धूप-दीप अर्पित करें । नैवेद्य के रूप में तिल तथा गुड़ के बने हुए लड्डु, ईख, गंजी (शकरकंद), अमरूद, गुड़ तथा घी अर्पित करें।

     यह नैवेद्य रात्रि भर बांस के बने हुए डलिया (टोकरी) से ढ़ंककर यथावत् रख दिया जाता है । पुत्रवती स्त्रियां पुत्र की सुख समृद्धि के लिये व्रत रखती है। इस ढ़ंके हुए नैवेद्य को पुत्र ही खोलता है तथा भाई बंधुओं में बांटता है। ऐसी मान्यता है कि इससे भाई-बंधुओं में आपसी प्रेम-भावना की वृद्धि होती है। अलग-अलग राज्यों मे अलग-अलग प्रकार के तिल और गुड़ के लड्डु बनाये जाते हैं। तिल के लड्डु बनाने हेतु तिल को भूनकर ,गुड़ की चाशनी में मिलाया जाता है ,फिर तिलकूट का पहाड़ बनाया जाता है, कहीं-कहीं पर तिलकूट का बकरा भी बनाते हैं। तत्पश्चात् गणेश पूजा करके तिलकूट के बकरे की गर्दन घर का कोई बच्चा काट देता है।  गणेश पूजन के बाद चंद्रमा को कलश से अर्घ्य अर्पित करें। धूप-दीप दिखायें। चंद्र देव से अपने घर-परिवार की सुख और शांति के लिये प्रार्थना करें। इसके बाद एकाग्रचित होकर कथा सुनें अथवा सुनायें। सभी उपस्थित जनों में प्रसाद बांट दें।


--पंकज गोयल
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                        (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अजबगजब.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-04.02.2022-शुक्रवार.