II माघी गणेश जयंती II-कविता क्रमांक-2

Started by Atul Kaviraje, February 04, 2022, 01:42:00 AM

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Atul Kaviraje

                                        II माघी गणेश जयंती II
                                            कविता क्रमांक-2
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मित्रो,

     आज शुक्रवार,०४ फरवरी ,२०२२. माघ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को गणेश जयंती के नाम से जाना जाता है. मराठी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको माघी गणेश जयंती की बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईए, श्री गणेश जी का पूजन नमन करते है, और पढते है, माघी गणेश जयंती पर कविताये--

                               गणपति उत्सव---

कितना रूप राग रंग
कुसुमित जीवन उमंग!
अर्ध्य सभ्य भी जग में
मिलती है प्रति पग में!

श्री गणपति का उत्सव,
नारी नर का मधुरव!
श्रद्धा विश्वास का
आशा उल्लास का
दृश्य एक अभिनव!

युवक नव युवती सुघर
नयनों से रहे निखर
हाव भाव सुरुचि चाव
स्वाभिमान अपनाव
संयम संभ्रम के कर!
कुसमय! विप्लव का डर!

आवे यदि जो अवसर
तो कोई हो तत्पर
कह सकेगा वचन प्रीत,
'मारो मत मृत्यु भीत,
पशु हैं रहते लड़कर!

मानव जीवन पुनीत,
मृत्यु नहीं हार जीत,
रहना सब को भू पर!'
कह सकेगा साहस भर
देह का नहीं यह रण,
मन का यह संघर्षण!

'आओ, स्थितियों से लड़ें
साथ साथ आगे बढ़ें
भेद मिटेंगे निश्वय
एक्य की होगी जय!

'जीवन का यह विकास,
आ रहे मनुज पास!
उठता उर से रव है,–
एक हम मानव हैं
भिन्न हम दानव हैं!'


–सुमित्रानंदन पंत
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दुनियाहैगोल.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-04.02.2022-शुक्रवार.