II वैलेंटाइन्स डे II-कविता क्रमांक-4

Started by Atul Kaviraje, February 14, 2022, 12:36:22 AM

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Atul Kaviraje

                                         II वैलेंटाइन्स डे II
                                          कविता क्रमांक-4
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मित्रो,

     आज दिनांक-१४ फेब्रुवारी, २०२२ - सोमवार है. आजका दिन "वैलेंटाइन दिवस या संत वैलेंटाइन दिवस (अंग्रेज़ी: Valentine's Day), एक अवकाश दिवस है, जिसे 14 फ़रवरी को अनेकों लोगों द्वारा दुनिया भर में मनाया जाता है। अंग्रेजी बोलने वाले देशों में, ये एक पारंपरिक दिवस है, जिसमें प्रेमी एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम का इजहार वैलेंटाइन कार्ड भेजकर, फूल देकर करते हैं।" आईए इस अवसर पर पढते है, कुछ प्रेम रचनाये, कविताये. 

रात आधी खींच कर मेरी हथेली
मैं लगा दूँ आग इस संसार में
है प्यार जिसमें इस तरह असमर्थ कातर।
जानती हो उस समय क्या कर गुज़रने
के लिए था कर दिया तैयार तुमने!
रात आधी खींच कर मेरी हथेली
एक ऊँगली से लिखा था प्यार तुमने।

--हरिवंशराय बच्‍चन
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मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ

मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ
वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ

एक जंगल है तेरी आँखों में
मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ

तू किसी रेल-सी गुज़रती है
मैं किसी पुल-सा थरथराता हूँ

हर तरफ़ ऐतराज़ होता है
मैं अगर रौशनी में आता हूँ

एक बाज़ू उखड़ गया जबसे
और ज़्यादा वज़न उठाता हूँ

मैं तुझे भूलने की कोशिश में
आज कितने क़रीब पाता हूँ

कौन ये फ़ासला निभाएगा
मैं फ़रिश्ता हूँ सच बताता हूँ

--दुष्‍यंत कुमार
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पर आँखें नहीं भरीं
शब्द, रूप, रस, गंध तुम्हारी
कण-कण में बिखरी
मिलन साँझ की लाज सुनहरी
ऊषा बन निखरी,
हाय, गूँथने के ही क्रम में
कलिका खिली, झरी
भर-भर हारी, किंतु रह गई
रीती ही गगरी।
कितनी बार तुम्हें देखा
पर आँखें नहीं भरीं।

--शिवमंगल सिंह सुमन
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              (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-नवभारत टाइम्स.इंडिया टाइम्स.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.02.2022-सोमवार.