II छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती II-निबंध क्रमांक-4

Started by Atul Kaviraje, February 19, 2022, 06:20:24 PM

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Atul Kaviraje

                                II छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती II
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मित्रो,

     आज दिनांक-१९.०२.२०२२-शनिवार, छत्रपती श्री शिवाजी महाराज जयंती है. "छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को मराठा परिवार में हुआ था। उनके जन्मदिवस के अवसर पर ही हर साल 19 फरवरी को भारत में छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती मनाई जाती है। यह साल इस महान मराठा की 391वीं जयंती के रूप में मनाया जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने तो इस दिन को राज्य में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है।" मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन कवी-कवयित्रीयोको इस सु-अवसर पर मेरी अनेक हार्दिक शुभेच्छाये . आईए इस सुनहरे दिवस पर पढते है लेख,निबंध,भाषण,शुभेच्छाये,स्टेटस,कोट्स,शायरी,सु-विचार एवं अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी.

                   छत्रपति शिवाजी महाराज निबंध

     छत्रपति शिवाजी महाराज एक ऐसे राजा हैं जो पूरे हिंदुस्तान के प्रेरणा स्रोत हैं और हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक के रूप में जाने जाते हैं। शिवाजी महाराज, जिन्हें शिवराय शिवबा राजे के नाम से भी जाना जाता है, शिवाजी शाहजी भोसले का पूरा नाम है। शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को पुणे जिले के जुन्नार शहर के पास शिवनेरी किले में हुआ था। शिवनेरी किले पर देवी शिवाई के नाम पर महाराज का नाम शिवाजी रखा गया। 19 फरवरी शिवाजी महाराज का जन्मदिन है जिसे शिव जयंती के रूप में मनाया जाता है। शिवाजी महाराज के पिता का नाम शाहजी राजे और माता का नाम जीजाबाई था।

     एक बच्चे के रूप में, शिवराय को दांडपट्टा, तलवार चलाना और भाला फेंकने का प्रशिक्षण दिया गया था और दादोजी कोंडदेव उनके गुरु थे। दस साल की उम्र में 1640 में शिवाजी महाराज ने साईबाई से शादी कर ली। शाहजी महाराज ने पुणे के जहांगीर को शिवराय को सौंप दिया। उस समय शिवराय की सारी जिम्मेदारी राजमाता जिजाऊ पर थी। जिजाऊ ने रामायण महाभारत की कहानियां सुनाकर शिवराय को संस्कार दिए। उन्होंने शिवराय को उनके कर्मों से अवगत कराया।

     पन्द्रह वर्ष की आयु में शिवाजी महाराज ने कुछ मावलों के साथ रायरेश्वर के मंदिर में स्वराज्य स्थापित करने की शपथ ली। स्वराज्य के निर्माण के दौरान, उन्होंने तोरण गढ़ पर विजय प्राप्त की और स्वराज्य के तोरण का निर्माण किया। पुणे के प्रभारी रहते हुए शिवाजी महाराज ने अपनी खुद की राजमुद्रा बनाई, जो संस्कृत में थी। स्वराज्य के निर्माण के दौरान शिवाजी महाराज को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन वे बिना किसी हिचकिचाहट के लड़ते रहे। प्रतापगढ़ के लढाई मे अफजलखान जैसे बलाढ्य सरदार को संपूर्ण परास्त करने का वीरतापूर्ण कार्य, आगरा से सहीसलामत मुक्ति, सूरत की लूट, शाहिस्तेखान के उपर अचानक हमला और उसको महाराष्ट्र छोडकर जान बचाकर भागने मे मजबूर करना, ये सभी रोमांचक चीजें उनके जीवन में घटित हुईं। यह सब शिवराय के साहसी व्यक्तित्व को दर्शाता है।

     उन्होंने एक अनुशासित सेना और प्रशासनिक व्यवस्था के बल पर एक शक्तिशाली राज्य का निर्माण किया। उन्होंने स्वराज्य के मामलों को सुचारू रूप से चलाने के लिए अष्ट प्रधान मंडल का गठन किया। अष्ट प्रधान मण्डल में लोगों को नियुक्त कर उन्हें बोर्ड पद देकर राज्य प्रशासन सुचारू रूप से चलता था। गणिमिकावा तंत्र का उपयोग करके शिवराय ने कई युद्ध जीते। शिवराय का राज्याभिषेक समारोह 6 जून, 1674 को हुआ था। पंडित गागभट्ट ने राज्याभिषेक समारोह किया।

     इस राज्याभिषेक से छत्रपति छत्रीय कुलवंत के नाम से सम्मानित किये गये। शिवाजी महाराज मराठी और संस्कृत भाषाओं के समर्थक थे। स्वराज्य कारभार में मराठी भाषा का प्रचार-प्रसार किया। इसलिए उन्होंने हमेशा महिलाओं की स्वतंत्रता को प्रोत्साहित किया। उन्होंने हमेशा महिलाओं का सम्मान किया। उन्होंने लोगों के साथ अन्याय करने वालों को कड़ी सजा भी दी। शिवाजी महाराज एक ऐसे राजा थे जो एक बच्चे की तरह अपनी प्रजा से प्यार करते थे। 3 अप्रैल 1680 को अपने जीवन का संपूर्ण काल प्रजा के हित मे गुजारने वाले। प्रज्यादक्ष राजा "श्री छत्रपती शिवाजी महाराज" का रायगढ़ में निधन हो गया।जिन्हे आज हम "युगपुरुष"के नाम से जाणते है। ।।जय शिवराय।। ।।राजें मानाचा मुजरा।।

--प्रीतम संसारे
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-ग्यान जेनिक्स.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.02.2022-शनिवार.