II छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती II-स्पीच क्रमांक-4

Started by Atul Kaviraje, February 19, 2022, 06:27:51 PM

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Atul Kaviraje

                               II छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती II
                                            स्पीच क्रमांक-4
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मित्रो,

     आज दिनांक-१९.०२.२०२२-शनिवार, छत्रपती श्री शिवाजी महाराज जयंती है. "छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को मराठा परिवार में हुआ था। उनके जन्मदिवस के अवसर पर ही हर साल 19 फरवरी को भारत में छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती मनाई जाती है। यह साल इस महान मराठा की 391वीं जयंती के रूप में मनाया जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने तो इस दिन को राज्य में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है।" मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन कवी-कवयित्रीयोको इस सु-अवसर पर मेरी अनेक हार्दिक शुभेच्छाये . आईए इस सुनहरे दिवस पर पढते है लेख,निबंध,भाषण,शुभेच्छाये,स्टेटस,कोट्स,शायरी,सु-विचार एवं अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी.

                      शिवाजी से जुड़ी जरूरी बातें

     छत्रपति शिवाजी महाराज मराठा राजवंश के संस्थापक और मराठा या महाराष्ट्र के लोगों के योद्धा राजा थे। उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज के रूप में भी जाना जाता है। छत्रपति शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को महाराष्ट्र के शिवनेरी किले में हुआ था। 15 वर्षों में, उन्होंने तोरण किले पर विजय प्राप्त की। चाकन किले और कोंडाना किले को आदिल शाही गवर्नर राजे शिवाजी को रिश्वत देकर लिया गया था, राजे शिवाजी ने टाइगर के पंजे से उसे मार डाला। वह मुगल सम्राट औरंगजेब के सबसे बड़े दुश्मन बन गए। उन्हें आगरा के किले में औरंगजेब द्वारा गिरफ्तार किया गया था। 1674 में उन्होंने खुद को राजा बनाया।

                        मुगलों से टक्कर :

     शिवाजी की बढ़ती हुई शक्ति से चिंतित हो कर मुगल बादशाह औरंगजेब ने दक्षिण में नियुक्त अपने सूबेदार को उन पर चढ़ाई करने का आदेश दिया। लेकिन सुबेदार को मुंह की खानी पड़ी। शिवाजी से लड़ाई के दौरान उसने अपना पुत्र खो दिया और खुद उसकी अंगुलियां कट गई। उसे मैदान छोड़कर भागना पड़ा। इस घटना के बाद औरंगजेब ने अपने सबसे प्रभावशाली सेनापति मिर्जा राजा जयसिंह के नेतृत्व में लगभग 1,00,000 सैनिकों की फौज भेजी।

                 बचपन में खेल खेल मे सीखा किला जीतना :

     बचपन में शिवाजी अपनी आयु के बालक इकट्ठे कर उनके नेता बनकर युद्ध करने और किले जीतने का खेल खेला करते थे। युवावस्था में आते ही उनका खेल वास्तविक कर्म शत्रु बनकर शत्रुओं पर आक्रमण कर उनके किले आदि भी जीतने लगे। जैसे ही शिवाजी ने पुरंदर और तोरण जैसे किलों पर अपना अधिकार जमाया, वैसे ही उनके नाम और कर्म की सारे दक्षिण में धूम मच गई, यह खबर आग की तरह आगरा और दिल्ली तक जा पहुंची। अत्याचारी किस्म के तुर्क, यवन और उनके सहायक सभी शासक उनका नाम सुनकर ही मारे डर के चिंतित होने लगे थे।

--Written by - जनसत्ता ऑनलाइन
--Edited by - रुपम  सिन्हा
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                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-जनसत्ता.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.02.2022-शनिवार.